-चीन-ईरान के साथ पाकिस्तान की गतिविधियों पर भी रखेंगे सख्त नजर वॉशिंगटन,(ईएमएस)। अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प अपनी दूसरी कैबिनेट तैयार कर रहे हैं। उनकी टीम ने पाकिस्तान की चिंता बढ़ा दी है। टीम में शामिल नेता न केवल पाकिस्तान के आलोचक हैं, बल्कि भारत समर्थक भी हैं। सेक्रेटरी ऑफ स्टेट सीनेटर मार्को रुबियो ने भारत समर्थित बिल पेश किए हैं। उन्होंने पाकिस्तान को आतंकवाद का प्रायोजक बताया और अमेरिकी मदद रोकने की बात कही है। यूएस-इंडिया डिफेंस को-ऑपरेशन एक्ट में उन्होंने भारत के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने और पाकिस्तान को आतंकवाद के लिए जवाबदेह ठहराने की सिफारिश की। रुबियो ने क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए भारत को अहम सहयोगी माना है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वॉल्ट्ज ने पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ सख्त संदेश दिए हैं। उन्होंने लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों पर कार्रवाई करने और आतंकवाद को विदेश नीति के औजार के रूप में न इस्तेमाल करने की चेतावनी दी है। वॉल्ट्ज पाकिस्तान पर आतंकवाद को खत्म करने का दबाव बना सकते हैं। भारतीय मूल की नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गाबार्ड पाकिस्तान के खिलाफ मुखर हैं। पुलवामा हमले के बाद उन्होंने खुलकर भारत का समर्थन किया और पाकिस्तान की आतंकवाद को शरण देने की नीति की निंदा की। 2011 में एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को शरण देने के लिए भी उन्होंने पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया था। सीआईए चीफ जॉन रैटक्लिफ ने चीन और ईरान के साथ-साथ पाकिस्तान की गतिविधियों पर सख्त नजर रखने की बात कही है। ट्रम्प टीम के नेता आतंकवाद को खत्म करने के लिए पाकिस्तान पर अधिक दबाव डाल सकते हैं। अमेरिका-भारत रक्षा और तकनीकी संबंधों को बढ़ावा देने से पाकिस्तान की रणनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है। पाकिस्तान की थिंक टैंक और सैन्य नेतृत्व नई रणनीति बनाने में जुट गए हैं। पाकिस्तान कोशिश करेगा कि वह अमेरिका और अन्य देशों को अपने पक्ष में करे। अमेरिकी दबाव को संतुलित करने के लिए पाकिस्तान अपनी रणनीतिक साझेदारी को चीन के साथ और मजबूत कर सकता है। पाकिस्तान को अब अपनी नीतियों में बदलाव और वैश्विक मंच पर भरोसेमंद छवि बनाने की जरूरत होगी। सिराज/ईएमएस 20 नवंबर 2024