रैगिंग का राक्षस और कितनी जाने लेगा रैगिंग के कारण असमय चिराग बुझ रहे हैं। रैगिंग नासूर बनता जा रहा है सख्त क़ानून बनाना होगा तभी रैगिंग पर पूर्णरूप से रोक लग सकती है। देश में बढती रैगिंग की घटनाएं क्यों नहीं रूकती यह एक यक्ष प्रश्न बनता जा रहा है। हिमाचल का बहुचर्चित अमन काचरु रैगिगं कांड के बाद भी विश्वविद्यालयों व कालेजों में रैगिगं का संक्रमण बढता जा रहा हैं।माननीय सर्वोच्च न्यायलय ने रैगिंग पर पूर्ण प्रतिबंध का कानून लागू किया है मगर देश में रैगिग के बढते मामलों से यह कानून मजाक बनता जा रहा है। ताज़ा घटनाक्रम में गुजरात के पाटन जिले में धारपुर जीएमईआरएस मेडिकल कालेज में रैगिंग ने एक छात्र की जान ले ली सीनियर छात्रों ने परिचय देने के नाम पर एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्र अनिल मेथनिया को तीन घंटे खड़े रहने की सजा दी इस दौरान अनिल बेहोश हो गया और उसकी जान चली गई। रैगिंगरोधी समिति घटना की जाँच कर रही है। गत माह हिमाचल के वाकनाघाट में एक निजी विश्वविद्यालय में प्रथम वर्ष के एक छात्र से रैगिंग का मामला प्रकाश में आया था रैगिंग के आरोपी तीन छात्रों को गिरफ्तार कर लिया था व हॉस्टल व यूनिवर्सिटी से निकाल दिया था। इससे पहले आईआईटी मंडी मे रैगिंग की घटना सामने आई थी। आईआईटी प्रबंधन ने आरोपी 10 छात्रों क़ो छः महीने विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया था तथा 72छात्रों पर 15 से 25हजार रूपये तक का जुर्माना लगाया गया था। यह मामला बीते 11 अगस्त 2023 को घटित हुआ था। आईआईटी मंडी मे घटित यह बहुत ही संगीन मामला है इस मामले पर प्रशासन को कड़ा संज्ञान लेना चाहिएl देश में रैगिंग के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। रैगिंग के कारण प्रताड़ित छात्र आत्महत्या तक कर रहे हैं पिछले दिनों एम्स बिलासपुर मे भी एक मामला हो चूका है वहाँ भी एक छात्रा ने आत्महत्या की कोशिश की थी मगर बच गई थी। यूजीसी के आकड़ों के मुताबिक 2020 में देश में रैगिंग के 219 मामले सामने आये थे। 2021 में रैगिंग के 511मामले हुए थे। 2019 में उतर प्रदेश के इटावा में सैफई मैडिकल विश्वविद्यालय में रैगिंग का मामला घटित हुआ था । जहां सीनियर छात्रों ने 150 छात्रों के सिर मुंडवा दिए थे ।यह एमबीबीएस के प्रथम वर्ष के छात्र थे । रैगिग के मामलों में वृद्वि खतरनाक साबित हो रही है। वर्ष 2018 में ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के भोपाल में घटित हुआ था जहां रैगिंग से तंग आकर बीफार्मा की एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी ,छात्रा के सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस ने चार लड़कियों व एक अध्यापिका को गिरफतार कर लिया था। रैगिग का यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले कई जघन्य वारदातें हो चुकी है। इतनी वारदातें होने के बाद भी इन घटनाओं पर रोक नहीं लग रही है। रैगिग छात्रों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। रैगिग की इन वारदातों से छात्र खौफजदा होते जा रहे हैं।अगर यही हाल रहा तों छात्रों के भविष्य पर संकट के बादल मंडरा सकतें है क्योकि इन बारदातों से अभिभावक भी अपने बच्चों को असुरक्षित समझ रहे है। रैगिग का साधरण सा अर्थ एक दूसरे का परिचय जानना होता था मगर अब इसका स्वरुप बदलता जा रहा है। रैगिगं अब यातना बन गई है छात्रों को मानसिक रुप से प्रताडित किया जाता है ,मारपीट की जाती है।आज तक पता नहीं कितने छात्र-छात्राएं रैगिग के कारण असमय मौत के मुह में जा चुके है।उतरप्रदेश के इटावा में घटित इस घटना ने एक नई बहस को जन्म दिया था । देश के शिक्षण संस्थानों मेें प्रतिबन्ध के बाद भी यह मामले थमने का नाम नहीं ले रहे है। बीते हादसों से न तो प्रशासन ने सबक सीखा और न ही छात्रों ने सीख ली। यदि कडे कदम उठाए होते तो आज यह हादसा न होता। यह एक यक्ष प्रशन बनता जा रहा है।रैगिग की यह बीमारी विश्वविद्यालयों ,कालेजों के बाद अब स्कूलों में भी अपने पांव पसार चुकी है यदि इस पर समय रहतें रोक न लगाई तो आने वाले समय में घातक परिणाम भुगतने पडेगें। देश में समय समय पर ऐसे दुखद हादसे होते रहते है मगर यह रुकनें के बजाए निर्बाध रुप से बढतें ही जा रहे हैं। समाचार पत्रों की खबरों के अनुसार मई में मुम्बई के ठाणें में रैगिग से तंग आकर एक छात्र ने ट्रेन के आगे कटकर आत्महत्या कर ली ।दिल्ली के स्कूल आफ प्लानिगं एंड आर्किटैक्चर का एक होनहार छात्र रैगिगं के चलतें अपाहिज हो गया आरोप है कि प्रथम वर्ष के छात्र नवीन कुजुर को उसके सीनियर ने ऐसी यातनाएं दी कि वह चलने फिरने के काबिल नहीं रहा। आन्ध्रप्रदेश में एक कालेज में सीनियर छात्राओं ने जूनियर छात्रा की रैगिग ली उनकी यातना से उस छात्रा ने अपनी आवाज खो दी थी।एक अन्य घटना में छात्र को क्लास में लडकी कहा जाता था छात्रों की इस हरकत से तंग आकर उस छात्र ने खुद को आग लगा दी थी। मुम्बई में एक कालेज में सीनियर छात्राओं ने एक जूनियर छात्रा को मिर्ची खिलाई और उठक बैठक करवाई ।कोलकाता में एक कालेज में सीनियर जूनियर को ड्रग्स लेने के लिए मजबूर करते है और पिटाई करते हैं उतर प्रदेश में सरकार ने रैगिग के खिलाफ अभियान छेडा है तथा रैगिग करने वाले छात्रों को पांच साल तक दाखिला न देने को कडा फैसला लिया है।साल 2010 में साल में 164 केसों में 19 की मौत हो गई थी। देश में 2024 में भी यह मामले थमते नहीं आ रहे है। एक समय था कि कालेजो में रैगिग का नाम तक नहीं था मगर पिछले कुछ सालों से रैगिग के आकडों में अप्रत्याशित बढोतरी होती जा रही है। कालेज के कुछ बिगडैल किस्म के छात्र -छात्राएं कालेज का माहौल बिगाडनें में मशगुल रहते है, ऐसे मुठठी भर लोग छात्रों को अनावश्यक रुप से तंग कर रहे है ऐसे उदडं लोगों को कानून के मुताबिक सजा देनी चाहिए।आज यह रैगिगं भयानक होती जा रही है। बीते सालों में हिमाचल के सुन्दरनगर के पौलिटैक्निक कालेज में भी रैगिगं की वारदात प्रकाश में आई थी जिसमें सिरमौर का एक छात्र रैगिग का शिकार हुआ था हालांकि कालेज प्रशासन ने उन सीनियर लडकों को कालेज से निकाल दिया है पर कालेज से निकालना इसका समाधान नहीं है। केन्द सरकार व विश्वविद्यालय अनुदान आयेग को इन मामलों पर संज्ञान लेना चाहिए क्योकि यदि समय रहते कारगर कदम नहीं उठाए तो हालात बेकाबू हो जाएगें छात्र -छात्राएं रैगिग के डर से प्रवेश नही लेगें।कालेजों में अराजकता पैदा करने वाले तत्वों पर कार्रवाई करनी चाहिए।इनके कारण कई प्रतिभाएं खत्म हो रही है। ऐसे लोगों को सजा दी जाए तथा जुर्माना लगाया जाए। ऐसी भी रैगिग की छात्र पढाई तक छोड देते हैं ।आज तक हजारों छात्र इस बीमारी का शिकार हो चुके है।फिर भी यह प्रवृति रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। जनमानस को एकजुट होकर इसका खात्मा करना होगा ताकि छात्र-छात्राएं निर्भिक होकर अपनी पढाई कर सके। रैगिंग के बढ़ते जाल को काटना होगा ताकि भविष्य में इन घटनाओं की पुनरावृति न हो और शिक्षण संस्थानों में माहौल खराब न हो सके।इस बुराई के विरुद्व एक आन्दोलन करना होगा और प्रतिभावान छात्रों को बचाना होगा।रैगिग का समूल नाश करना चाहिए ताकि यह नासूर न बन पाए। सरकारों को इन मामलों पर संज्ञान लेना होगा तथा दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए। यह देश हित मे है। .../ 20 नवम्बर/2024