नई दिल्ली (ईएमएस)। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की वजह से सांस लेना दूभर हो रहा है। ग्रेप-4 लागू करने के बाद भी प्रदूषण पर कंट्रोल नहीं किया जा सका है। एक्यूआई लगातार बढ़ रहा है। दिल्ली की फिजा जहरीली होने से लोगों के स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है। इस बीच दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को कृत्रिम वर्षा कराने के लेकर चिट्ठी लिखी है। गोपाल राय ने कहा कि पिछले 3 दिनों से पूरे उत्तर भारत में वायु प्रदूषण है। लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल हो रहा है। ग्रेप-4 के नियम लगा दिए गए हैं। हमने वाहनों के प्रदूषण को रोकने के लिए प्राइवेट से लेकर कमर्शियल वाहनों पर पाबंदी लगाई। दिल्ली के अंदर स्मॉग की चादर को तोड़ने और लोगों को प्रदूषण से मुक्त दिलाने के लिए अब आर्टिफिशियल रेन कराने का वक्त आ गया है। उन्होंने कहा है कि मैं आज केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को कृत्रिम वर्षा कराने के लिए संबंधित विभागों के साथ इमरजेंसी मीटिंग करने के लिए चिट्ठी लिख रहा हूं। पिछले साल समय कम था, लेकिन इस बार हमने अगस्त में ही जरूरत पड़ने पर आर्टिफिशियल रेन कराने की तैयारी की थी। मंजूरी और बैठक के लिए मैंने पहली चिट्ठी 30 अगस्त को लिखी, दूसरी 10 अक्टूबर, फिर 23 अक्टूबर को चिट्ठी लिखी, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। मंत्री गोपाल राय ने कहा कि अक्टूबर में लंबी गुहार के बाद केंद्रीय कृषि और पर्यावरण मंत्री के साथ ऑनलाइन मीटिंग हुई। आज दिल्ली एक मेडिकल इमरजेंसी से गुजर रही है। इस स्मॉग को तेज हवा या बारिश से ही तोडा था रहा है। आज भारत में बीजेपी की ऐसी केंद्र में सरकार बैठी है जो लगातार चिट्ठी लिखने और अपील करने के बावजूद मंत्री को एक मीटिंग बुलाने की फुर्सत नहीं है। मंजूरी मिलना बाद की बात है। अगर किसी विदेश के मंत्री से इतनी अपील की होती तो वो भी मीटिंग कर लेता। उन्होंने पीएम मोदी से अपील करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी इस मामले में हस्तक्षेप करिए, या तो बैठक करें या फिर इस समस्या का समाधान दीजिए। अगर समाधान नहीं है तो कृत्रिम बारिश के लिए बैठक कराई जाए। गोपाल राय ने कहा कि हम लगातार काम कर रहे हैं। पहले वाहनों के प्रदूषण के लिए, बीएस 3 पेट्रोल और बीएस 4 डीजल वाहनों पर पाबंदी लगाई। दफ्तरों का समय बदला। स्कूलों को बंद कर दिया गया है, जो हमारे हाथ में हैं वो सब हम कर रहे हैं। जो जो सुझाव आ रहे हैं उनपर काम कर रहे हैं। ये सोर्स प्रदूषण को कम तो कर सकते हैं, लेकिन धुंध की चादर को हटा नहीं सकता। उसके लिए या तो तेज हवा चले या फिर बारिश कराई जाए। अजीत झा/देवेन्द्र/नई दिल्ली/ईएमएस/19/ नवम्बर /2024