हमारे आस-पास की हर चीज़ पर्यावरण का निर्माण करती है। पृथ्वी विभिन्न वातावरणों से बनी है जिसमें सभी जीवित और निर्जीव चीज़ें सह-अस्तित्व में हैं। प्रकृति की जैविक, भौतिक और प्राकृतिक शक्तियाँ परस्पर क्रिया करके ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न करती हैं जो जीवों को जीवित रहने देती हैं पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत एक इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं। पर्यावरण वह है जो कि प्रत्येक जीव के साथ जुड़ा हुआ है और हमारे चारों तरफ़ वह हमेशा व्याप्त होता है। संपूर्ण ब्रह्मांड में आज तक के ज्ञात समस्त ग्रहों में से पृथ्वी एक मात्र ऐसा ग्रह है जहाँ जैविक क्रियाओं को संचालित करने वाली परिस्थितियाँ मौजूद हैं। यही कारण है कि पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों एवं जंतुओं के रूप में जीवन विद्यमान है। हम चाहें कि पृथ्वी के अतिरिक्त किसी अन्य ग्रह पर जा कर रह सकें तो यह अत्यंत कठिन ही नहीं, बल्कि असंभव भी है। इसलिए आवश्यक है कि हम सभी इस धरती को जहाँ हम निवास करते हैं और अपनी समस्त गतिविधियों को बनाए रखना हैं, सभी प्रकार से बचाने का कार्य करें। इस लक्ष्य की पूर्ति को ध्यान में रखकर पर्यावरण दिग्दर्शिका नामक पुस्तक की रचना की गई है। जिसे डॉ दया शंकर त्रिपाठी, पर्यावरणविद, हिंदी प्रकाशन समिति, बी एच यू के सदस्य व विज्ञान गंगा के उपसंपादक के द्वारा लिखी गई है इस पुस्तक में निरंतर प्रदूषित हो रहे पर्यावरण से संबंधित विभिन्न पहलुओं को सरल भाषा में लिखा गया है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी प्रकाशन समिति एवं वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के आंशिक वित्तीय सहयोग द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में धरती और इसका पर्यावरण, प्राकृतिक संसाधन, ऊर्जा और उसके वैकल्पिक स्रोत, पारिस्थितिक तंत्र, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापन, जनसंख्या एवं पर्यावरण आदि सहित कुल 14 अध्याय हैं। इनके साथ ही, अन्त में संदर्भ व पठनीय ग्रंथों की सूची तथा वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली (हिंदी व अंग्रेजी) तथा दीर्घ एवं लघु उत्तरीय प्रश्न दिये गए हैं। यह पुस्तक उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा होमी जहांगीर भाभा पुरस्कार 2020 से पुरस्कृत है।हर साल 5जून को पर्यावरण दिवस मनाया जाता है पर्यावरण को समर्पित यह पुस्तक निश्चित रूप से पर्यावरणविदों, वैज्ञानिकों, समाजसेवी, विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगी।पर्यावरण प्रदूषण का मतलब है पर्यावरण में विदेशी और संभावित रूप से हानिकारक तत्वों का प्रवेश। इसके परिणाम तब विशेष रूप से महत्वपूर्ण होते हैं जब वे पारिस्थितिकी तंत्र और मानव समाज को नुकसान पहुंचाते हैं, खासकर स्वास्थ्य के संबंध में यह पुस्तक जनपयोगी साबित होगी। ईएमएस / 19 नवम्बर 24