लंदन (ईएमएस)।अमेजन के आसपास के देशों में कंबो ट्रीटमेंट पद्धति मरीजों का उपचार किया जाता है। इस पद्धति को लेकर दावा किया जाता है कि यह गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, अल्जाइमर, डिप्रेशन, और बांझपन का इलाज कर सकता है, लेकिन इसके खतरनाक परिणाम भी सामने आए हैं। कंबो ट्रीटमेंट में मरीज को मेंढक के जहर से इलाज किया जाता है। इलाज की शुरुआत में मरीज को एक लीटर पानी या कसावा सूप पिलाया जाता है। इसके कुछ समय बाद, शरीर के कुछ हिस्सों जैसे कंधे, हाथ या गले पर गर्म रॉड से जलन पैदा की जाती है, जिससे फफोले बन जाते हैं। फिर इन फफोलों को नोंच कर, उस पर मेंढक का जहर भर दिया जाता है। इस जहर के शरीर में प्रवेश करने के बाद मरीज की हालत बिगड़ने लगती है। मरीज को उल्टी, दस्त, चक्कर आना, पेट में तेज दर्द, उच्च रक्तचाप, और बार-बार पेशाब आने जैसी समस्याएं होने लगती हैं। यह स्थिति आमतौर पर 5 मिनट से लेकर 30 मिनट तक रहती है, लेकिन कुछ मरीजों पर इसका असर घंटों तक रहता है। इस इलाज के दौरान मरीज को ठंडा रखने के लिए पास की नदी में लेटने को कहा जाता है, हालांकि दर्द और जहर के प्रभाव से मरीज बेहाल हो जाते हैं और कई बार बेहोश भी हो सकते हैं। इलाज के बाद शरीर से जहर को बाहर निकालने के लिए पानी या चाय पिलाई जाती है, ताकि जहर बाहर निकल सके। हालांकि, कंबो ट्रीटमेंट का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है और इसके खतरों को लेकर कोई शोध नहीं किया गया है। इस इलाज के समर्थकों का दावा है कि यह इलाज शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है और मानसिक स्पष्टता लाता है, साथ ही कई बीमारियों को ठीक कर सकता है। हालांकि, इसे लेकर कई देशों में चेतावनियां दी गई हैं। कुछ देशों में इसे प्रतिबंधित किया गया है, जबकि अमेरिका जैसे देशों में इसका चलन आज भी जारी है। लेकिन इसके खतरनाक परिणाम सामने आए हैं, जिनमें से 2019 में नताशा लेचनर की मौत कंबो ट्रीटमेंट के दौरान हुई थी। वहीं, 2021 में जैरेड एंटोनोविक और 2018 में इटली और चिली में भी इस इलाज के कारण मौतें हुईं। इस खतरनाक इलाज के बावजूद, कुछ लोग इसे आजमाने के लिए मजबूर हैं, और कई अमीर लोग भी इस पारंपरिक पद्धति को अपनाते हैं। चिकित्सा विशेषज्ञ इस इलाज को खतरनाक मानते हैं और इसकी सिफारिश नहीं करते हैं, क्योंकि यह जान के लिए खतरा पैदा कर सकता है। बता दें कि दुनियाभर में कई खतरनाक बीमारियों ने लोगों की जिंदगी को मुश्किल बना रखा है, और इनमें से कुछ बीमारियों का इलाज मेडिकल साइंस ने ढूंढ लिया है, जबकि कई बीमारियां अभी भी लाइलाज हैं। इन बीमारियों से बचने के लिए कुछ लोग पारंपरिक इलाज पद्धतियों का सहारा लेते हैं, जो कई बार खतरनाक साबित होती हैं। सुदामा/ईएमएस 18 नवंबर 2024