14-Nov-2024
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लंदन (ईएमएस)। लंदन के बोनहम्स ऑक्शन हाउस में टीपू सुल्तान की तलवार को 3.4 करोड़ रुपए में बेचा गया है। ये तलवार 1799 में श्रीरंगपट्टम की लड़ाई के समय की है। इस युद्ध में टीपू सुल्तान की हार और मौत के बाद उनकी तलवार को अंग्रेज सेना के कैप्टन जेम्स एंड्रयू डिक को उनकी सेवा के लिए गिफ्ट के तौर पर दिया गया था। वह इस तलवार को ब्रिटेन ले गए और बीते 300 साल से ये शानदार तलवार उनके परिवार के पास थी। ऐसा माना जाता है कि चमकदार ब्लेड वाली ये तलवार टीपू सुल्तान के निजी शस्त्रागार का हिस्सा थी। इस तलवार पर शेर-ए-मैसूर की पहचान बुबरी (बाघ धारी) गुदा हुआ है और इसकी मूठ पर खास किस्म की नक्काशी और सजावट है। इसके ब्लेड पर सोने में अरबी अक्षर हा जड़ा हुआ है, ये टीपू के पिता हैदर अली का संदर्भ है। कैप्टन जेम्स एंड्रयू डिक श्रीरंगपट्टम की लड़ाई के दौरान लेफ्टिनेंट के रूप में लड़े थे। उनकी रेजिमेंट लड़ाई में हमलावर दल का हिस्सा थी, उनकी रेजिमेंट ने सीढ़ियों के इस्तेमाल से दीवारों को तोड़ा था। डिक की रेजिमेंट टीपू के शहर में दाखिल होने वाली पहली ब्रिटिश सेनाओं में से थी। ये भी माना जाता है कि इस रेजिमेंट ने ही लड़ाई के बाद टीपू के पार्थिव शरीर की खोजा था। टीपू के साथ इस लड़ाई में कामयाबी के बाद डिक को कई इनाम मिले थे। इन इनामों में से एक टीपू सुल्तान की खास तलवार भी थी, जो इस साल जून 2024 तक यह उनके परिवार के पास रही। आज भी खास है टीपू सुल्तान की तलवारें टीपू सुल्तान 1782 में मैसूर के सिंहासन पर बैठे थे और अपने आखिरी समय तक राजा बने रहे, अंग्रेजों से मुकाबला करते हुए 4 मई 1799 को उनकी मौत हुई थी। टीपू को अपने प्रशासन में कई आमूलचूल परिवर्तन करने, पहली बार रॉकेट बनाने और बहादुरी से जंग लड़ने के लिए जाना जाता है। उनकी बहादुरी के लिए उनको शेर-ए-मैसूर और टाइगर जैसे नाम दिए गए। टीपू सुल्तान के निजी शास्त्रागार में कई खास तलवारें थीं। टीपू की तलवारों की मूठ पर बेहद खूबसूरत मीनाकारी की गई थी। इनमें रत्न जड़े थे और कुरआन की आयतें गुदी होती थीं। बालेन्द्र/ईएमएस 14 नवंबर 2024