13-Nov-2024
...


नई दिल्ली (ईएमएस)। अब पादरियों, ननों और सिविल डेथ की शपथ लेने वालों को भी अपनी सैलरी पर टैक्स देना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी 93 अपीलों को खारिज करते हुए कहा कि टैक्स तो सबको देना होगा। बात दें कि कैथोलिक चर्चों में पढ़ाने वाले पादरियों और ननों को लेकर साल 2014 में विवाद हुआ था। कई धार्मिक संस्थाओं ने केंद्र सरकार के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें सरकार ने चर्च में काम करने वाले लोगों के वेतन पर टैक्स लगाने की कोशिश की थी। धार्मिक संस्थाओं का कहना था कि वे चूंकि सिविल डेथ की शपथ लेते हैं, लिहाजा उन्हें टैक्स के दायरे से अलग रखा जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया कि टैक्स तो सबको देना है। देश में ननों और पादरियों को इनकम टैक्स में छूट देने का नियम चालीस के दशक में शुरू हुआ था, जब ब्रिटिश राज था। तब कहा गया कि चूंकि ये तबका समाज की भलाई के लिए काम कर रहा है, इसलिए उनपर इतनी रियायत होनी चाहिए। आजादी के बाद भारत सरकार ने इस छूट को जारी रखा। साल 2014 में इसे हटाने की बात आई, जिसके खिलाफ कई राज्यों की धार्मिक संस्थाओं ने अर्जी डाली थी। धार्मिक तर्क के आधार पर नहीं मिलेगी टैक्स छूट अब पूर्व मुख्य न्यायधीश की बेंच ने याचिकाओं को रद्द करते हुए साफ कर दिया कि धार्मिक तर्क के आधार पर ऐसी छूट नहीं मिल सकती। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि मिशन में काम करने वाले लोग सिविल डेथ की स्थिति में रहते हैं। यानी वे गरीबी की शपथ ले चुके होते हैं। वे न तो शादी कर सकते, न ही प्रॉपर्टी बना सकते। भले ही उनके पास तनख्वाह आती हो, लेकिन उसे वे धार्मिक संस्थाओं को भेज देते हैं ताकि चैरिटी हो सके इसलिए उन्हें टैक्स के दायरे से अलग रखा जाना चाहिए। सरकार और चर्च के बीच चल रही थी तनातनी कोर्ट ने कहा, कानून सबके लिए समान गुरुवार को तीन जजों की बेंच, जिसमें चंद्रचूड़ भी शामिल थे ने टैक्स में छूट पर हो रही इस तनातनी को खत्म कर दिया। उन्होंने कहा कि ननों और पादरियों को तनख्वाह मिलती है। भले ही वो इसे अपने इस्तेमाल में नहीं लाते क्योंकि उन्होंने गरीबी की शपथ ली हुई है, लेकिन टीडीएस तो काटा जाएगा। चंद्रचूड़ ने कहा कि मान लीजिए कोई हिंदू पुजारी है, जो कहे कि मैं अपनी तनख्वाह नहीं रखूंगा। मैं उसे एक संस्था को पूजा के लिए दे दे रहा हूं, लेकिन अगर वो व्यक्ति काम कर रहा है, पगार आ रही है तो टैक्स डिडक्ट होगा ही। कानून सबसे लिए समान है। बालेन्द्र/ईएमएस 24 नवंबर 2024