इन्दौर (ईएमएस) उच्च न्यायालय इन्दौर खंडपीठ में चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने उज्जैन नगर निगम द्वारा ठेकेदार के बिलों के भुगतान फंड की कमी बताते रोके जाने के विरूद्ध लगाई याचिका पर सुनवाई के बाद कड़ी टिप्पणी करते कहा कि उज्जैन नगर निगम की आर्थिक स्थिति इतनी बदहाल है कि वह ठेकेदार को भुगतान नहीं कर पा रहा है तो सरकार इसे अपने अधीन ले ले। यही नहीं चीफ जस्टिस ने उज्जैन नगर निगम को चार सप्ताह में ठेकेदार को पूरा भुगतान करने का आदेश देते यहां तक कहा है कि अधिकारियों का वेतन आधा कर भुगतान किया जाए। उच्च न्यायालय में ठेकेदार विमल जैन की ओर से दायर याचिका पर चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने कहा कि महाकाल की नगरी उज्जैन में निगम अधिकारी अकाल ढा रहे हैं। सरकार जांच करें। अगर वास्तव में उज्जैन नगर निगम की आर्थिक स्थिति इतनी बदहाल है कि वह ठेकेदार को भुगतान नहीं कर पा रहा है तो सरकार इसे अपने अधीन ले ले। इसके पूर्व याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील लक्की जैन ने कोर्ट को बताया था कि साल 2020 में उज्जैन के गंधर्व तालाब के सौंदर्याकरण का काम शुरू किया गया था जिस पर 70 लाख रुपए खर्च होंगे के बाद नगर निगम ने फंड की कमी बताकर काम रोक ठेकेदार को भुगतान भी नहीं किया। जबकि वर्क ऑडिट भी हो गया था। इसके विरुद्ध जनवरी 2024 में याचिका लगाई गई जिसमें निगम द्वारा लगातार फंड की बताई जा रही है । याचिका पर अभी तक 5 सुनवाई हो चुकी है। नगर निगम की तरफ से कोई स्पष्ट जवाब फाइल नहीं किया गया है। सिर्फ निगम कमिश्नर की ओर से शपथ पत्र दे उसमें फंड की बात कही है। याचिका पर सुनवाई करते चीफ जस्टिस ने अपने फैसले में कहा कि जब तक ठेकेदार को भुगतान नहीं हो जाता तब तक अधिकारियों का वेतन आधा कर दिया जाए। नगर निगम चार सप्ताह में ठेकेदार को पूरा भुगतान करें। वरना उज्जैन नगर निगम कमिश्नर के खिलाफ अवमानना का मामला चलेगा। आनन्द पुरोहित/ 13 नवम्बर 2024