अखिल भारतीय कालिदास समारोह में कहा उज्जैन (ईएमएस) उज्जैन में 66वें अखिल भारतीय कालिदास समारोह का शुभारंभ उप राष्ट्रपति जगदीश धनखड़ ने किया। उन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों के कलाकारों को कालिदास राष्ट्रीय अलंकरण सम्मान दिए। उन्होंने जय महाकाल ने अपने भाषण की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि भारत जैसा कोई दूसरा देश नहीं है, जहां ऐसी सांस्कृतिक विरासत हो। जो देश और समाज अपनी संस्कृति और सांस्कृतिक धरोहर को संभालकर नहीं रखता, वो ज्यादा दिन नहीं टिकता है। उपराष्ट्रपति ने जय महाकाल कहकर ही भाषण समाप्त किया। उप राष्ट्रपति जगदीश धनखड़ ने कहा कि हमारा बच्चा इंजीनियर बने, डॉक्टर बने, इन सबसे ज्यादा जरूरी है अच्छा नागरिक बने। जो देश और समाज अपनी संस्कृति और सांस्कृतिक धरोहर को संभालकर नहीं रखता, वो ज्यादा दिन नहीं टिकता है। उपराष्ट्रपति ने कहा िकालिदास की मेघदूतम रचना हमें सिखाती है कि प्रकृति का ध्यान रखो, क्योंकि हमारे पास रहने के लिए दूसरी धरती नहीं है। हम अधिकारों पर जोर दें, जो संविधान में दिए गए हैं, लेकिन हमें अपने दायित्वों से अधिकारों को संतुलित करना होगा। 2047 में हमारा राष्ट्र सर्वेश्रेष्ठ बनेगा। राष्ट्र को सबसे ऊपर रखें। इसके लिए देश में आहूति हो रही है। भारत दुनिया का सिरमौर होगा भारत एक अकेला ऐसा देश दुनिया में है, जिसके पास 5 हजार साल की सांस्कृतिक विरासत है। भारत की प्रगति सबसे ज्यादा है। कालिदास की रचना में भी नारी शक्ति दिखती है उप राष्ट्रपति ने कहा कि कोई भी देश इस बात पर नहीं चलता कि हम अधिकारों पर जोर दें, हमें अपने दायित्वों से अधिकारों को संतुलित करना होगा। मन को टटोलिए, हम महान भारत के रहवासी हैं। राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं। इसमें हर नागरिक को आहूति देनी है। आज की सरकार ने लोकसभा और राज्यसभा में एक तिहाई आरक्षण देकर महिला शक्तिकरण किया है। कालिदास की रचना में भी नारी शक्ति देखने को मिलती है। इन कृतियों में कुटुम्ब का ध्यान रखने की भी सीख छिपी हुई है। हमें पता होना चाहिए हमारे पड़ोस में और हमारे समाज में कौन है। भारत जैसी सांस्कृतिक विरासत कही नहीं उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि भारत जैसा कोई दूसरा देश नहीं है, जहां ऐसी सांस्कृतिक विरासत हो। जो देश और समाज अपनी संस्कृति और सांस्कृतिक धरोहर को संभालकर नहीं रखता, वो ज्यादा दिन नहीं टिकता है। उपराष्ट्रपति ने कहा, कालिदास की रचनाओं के बीच मानव और प्रकृति का अटूट रिश्ता देखने को मिलता है। पर्यावरण आज की ज्वलंत समस्या है। इसका ज्ञान हमें महाकवि कालीदास की रचनाओं से मिलता है कि पर्यावरण संरक्षण जरूरी है। हमारे पास पृथ्वी के अलावा कोई और स्थान रहने का नहीं है।