वाराणसी (ईएमएस)। वाराणसी (ऊ. प्र.)स्थित बनारस रेल इंजन कारखाना(BLW )का राजकीय हाई स्कूल हरचंदपुर, जनपद -भदोही के विद्यार्थियों ने शैक्षणिक भ्रमण किया। कारखाना के अंदर लोको रेल इंजन निर्माण की प्रक्रियाओं को विद्यार्थियों ने करीब से देखा। कारखाने की निर्माण तकनीकी को देखकर विद्यार्थियों ने तरह-तरह के प्रश्न पूछे, जिनका समाधान वहां स्थित कर्मचारियों ने किया। लोको निर्माण की डिजाइन, उसकी विभिन्न जटिल प्रक्रियाओं व बारिकियों को जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने समझाया । पी आर ओ नें बताया कि देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा 23 अप्रैल, 1956 को इस कारखाने की स्थापना की गई थी। स्थापना काल से अब तक यह कारखाना देश-विदेश के तमाम एशियाई देशों को अपना लोको निर्यात कर चुका है। यह देश का पहला कारखाना था, जहाँ डीज़ल इंजनों का निर्माण होता था, लेकिन बाद में चलकर यह कारखाना डीज़ल और विद्युत रेल इंजनों का स्वदेशी तकनीक से निर्माण कर रहा है। यह नए रेल इंजनों कें निर्माण कें साथ- साथ बड़े-बड़े लोको इंजनों की मरम्मत का भी कार्य करता है। राजेश कुमार ने बताया कि यह कारखाना देश की अमूल्य धरोहर है, जो भारत देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करता है। शुरुआती दौर में जब इस स्थान का अधिग्रहण किया जा रहा था, देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने जिन -जिन किसानों की जमीन अधिकृत की गई, उन किसानों को जमीन के बदले उचित मुआवजा के साथ -साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी भी देने का आश्वासन दिया था जिसे बाद की सरकारों नें पुरा किया। पहले इसका नाम डीजल रेल इंजन कारखाना(DLW ) था जो 1920 में बदल कर बनारस रेल इंजन कारखाना(BLW ) हो गया। शैक्षणिक भ्रमण पर आये विद्यार्थियों ने रेल इंजन कारखाना की तकनीक को देखकर अविभूत हुए और स्वयं को गौर्वान्वित महसूस किया।पी आर ओ नें बताया कि यह कारखाना आत्म निर्भर भारत का अनूठा उदाहरण है। डॉ नरसिंह राम/12/11/2024