बेहद सख्त हैं हिजाब की बंदिशें! तेहरान (ईएमएस)। ईरान दुनिया के उन देशों में शामिल है जहां शरिया कानून के तहत ड्रेस कोड के बेहद सख्त नियम हैं। खासकर महिलाओं के लिए इन नियमों की सख्ती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सिर्फ सिर न ढककर बाहर निकलने के लिए सार्वजनिक रूप से कोड़े या कई साल की जेल तक हो सकती है। दो साल पहले हिजाब से संबंधित ये नियम पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बने, जब ईरान में हिजाब के खिलाफ महिलाओं ने क्रांति कर दी थी। अब एक बार फिर ईरान और हिजाब को लेकर उसकी सख्ती सुर्खियों में है। साथ ही सुर्खियों में है एक नाम अहौ दारयाई, जिसे ईरान के कट्टरपंथी शासन के खिलाफ इंकलाब की आवाज के रूप में देखा जा रहा है, ठीक वैसे ही जैसे दो साल पहले महसा अमीनी को देखा जा रहा था। कई महिलायें कर चुकी हैं हिजाब का विरोध ईरान में हिजाब को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है। एक दशक से अधिक समय से इसे लेकर प्रदर्शन होते रहे हैं जिनमें महिलाओं ने विशेष रूप से हिस्सा लिया है और अहम भूमिका निभाई है। अहौ दारियाई और महसा अमीनी के अलावा मसीह अलीनेजाद, निका शाकर्रामी और हदीस वो नाम हैं जिन्होंने हिजाब विरोधी आंदोलन को आगे बढ़ाया। साल 2022 में हिजाब के खिलाफ होने वाले प्रदर्शन एक बड़ी क्रांति में बदल गए। 13 सितंबर 2022 की दोपहर ईरान के कुर्दिश बहुल इलाके साकेज की रहने वाली महसा अपने छोटे भाई अस्कान से मिले तेहरान आई थी। तेहरान में मौरेलिटी पुलिस की नजरें उस पर पड़ गई। महसा फौरन तलब कर ली गई। उसे गश्त ए इरशाद (मॉरल पुलिस) ने गिरफ्तार कर अपने कस्टडी में ले लिया। महसा के भाई को बताया गया कि उसने हिजाब ढंग से नहीं पहन रखा था। उसका हिजाब पहनने का सलीका सरकारी स्टैंडर्ड के अनुसार नहीं था, और उसके कुछ बाल दिख रहे थे। महसा के भाई को बताया गया कि उसकी बहन को हार्ट अटैक आया है। महसा की गिरफ्तारी के दो घंटे बाद उसे कसरा हॉस्पिटल ले जाया गया। गिरफ्तारी के बाद महसा कोमा में चली गई और तीन दिन बाद पुलिस हिरासत में ही उसकी मौत हो गई। महिला ने किया आंदोलन का नेतृत्व महसा अमीनी की मौत की खबर बाहर आते ही प्रदर्शनकारी उग्र हो गए और महिलाओं ने एंटी-हिजाब कैंपेन नाम की दीवार खड़ी कर दी। ईरानी शासन रोज उस दीवार को तोड़ने की कोशिश करता लेकिन ईरानी महिलाएं रोज अपने विरोध से उस दीवार को और मजबूत और ऊंची कर रही थीं। इस आंदोलन से न सिर्फ ईरान बल्कि दुनियाभर से महिलाएं जुड़ीं। कठोर सजा को भूलकर महिलाओं ने हिजाब जलाए, बाल काटे, वीडियो बनाए, हैशटेग ट्रेंड कराए, चौराहों पर मार खाई लेकिन डटी रहीं। कहां से शुरू हुई ईरान की हिजाब क्रांति? 45 साल पहले तक ईरान ऐसा नहीं था। पश्चिमी सभ्यता का बोलबाला होने के कारण यहां खुलापन था। पहनावे को लेकर कोई रोकटोक नहीं थी। महिलाएं कुछ भी पहनकर कहीं भी आ-जा सकती थीं। 1979 ईरान के लिए इस्लामिक क्रांति का दौर लेकर आया। शाह मोहम्मद रेजा पहलवी को हटाकर धार्मिक नेता अयातुल्लाह खोमैनी ने सत्ता की बागडोर अपने हाथ में ले ली और पूरे देश में शरिया कानून लागू कर दिया। बालेन्द्र/ईएमएस 05 नवंबर 2024