ज़रा हटके
03-Nov-2024
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-तजा अध्ययन में हुआ बड़ा खुलासा लंदन (ईएमएस)। अकेलापन और टाइप-2 डायबिटीज: नया अध्ययन करता है एक गंभीर संबंध का खुलासा हालिया अध्ययन के निष्कर्षों ने यह साबित किया है कि अकेलेपन की भावनाएं टाइप-2 डायबिटीज (टी2डी) के विकास के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण हो सकती हैं। डायबेटोलोजिया रिसर्च में अकेलेपन और टाइप-2 डायबिटीज के बीच संबंध की जांच की गई है, जिसमें अवसाद (डिप्रेशन) और अनिद्रा के प्रभावों का भी मूल्यांकन किया गया है। बदलते जीवन परिवेश और बढ़ते तनाव के कारण टाइप-2 डायबिटीज के मामलों में वृद्धि हो रही है। अकेलापन एक ऐसी मानसिक स्थिति है, जो कभी-कभी लंबे समय तक बनी रह सकती है और इससे कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। जब कोई व्यक्ति अकेला महसूस करता है, तो शरीर की तनाव प्रक्रिया सक्रिय हो जाती है, जिससे टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ता है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि अकेलेपन के कारण खाने की आदतों में बदलाव आ सकता है। अकेले लोग अधिक कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने लगते हैं, जिससे ब्लड शुगर का स्तर बढ़ सकता है। इससे पहले हुए अध्ययनों में भी यह देखा गया है कि अकेलेपन की स्थिति में शर्करा युक्त पेय पदार्थों का सेवन बढ़ता है, जिससे डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। इस अध्ययन के लिए 24,024 लोगों का सर्वेक्षण किया गया। इसमें यह देखा गया कि पिछले दो सप्ताह में लोगों ने कितनी बार अकेलापन महसूस किया और इसके स्तर का क्या असर हुआ। अवसाद के लक्षणों की गंभीरता का आकलन करने के लिए एक प्रश्नावली का उपयोग किया गया, जिसमें 7 प्रश्न शामिल थे। इस प्रश्नावली में उच्च अंक गंभीर अवसाद के लक्षणों को दर्शाते हैं। अकेलेपन और अनिद्रा की जांच के दौरान, 1,179 प्रतिभागियों में टाइप-2 डायबिटीज के विकसित होने के संकेत पाए गए। शोध में पाया गया कि जिन लोगों ने अधिक अकेलापन अनुभव किया, उनके लिए टाइप-2 डायबिटीज का खतरा अधिक था। अध्ययन में यह भी पाया गया कि अकेलेपन का प्रभाव न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर पड़ता है, बल्कि सामाजिक व्यवहार और लोगों के साथ जुड़ाव पर भी इसका गहरा असर होता है। कम सामाजिक संबंध और सकारात्मक प्रभावों की कमी अकेले लोगों के व्यवहार को और अधिक संवेदनशील बना सकती है। सुदामा/ईएमएस 03 नवंबर 2024