नई दिल्ली (ईएमएस)। गली में साइकल पर घूमते हुए चाबी बनवाने वाले मिल जाएं तो आप उन्हें घर बुला लेते हैं। अलमारी और तिजोरी की चाबी हो तो उनकी एंट्री सीधे घर के भीतर ही होती है। अगर चाबी बनाने के दौरान आप नजरें थोड़ी सी इधर-उधर हुई तो समझो तिजोरी साफ है। इस तरह की कई वारदात आए दिन होती रहती हैं। ताला-चाबी गैंग लाखों की जूलरी और कैश लेकर रफूचक्कर हो जाता है। पीछे पीड़ित फैमिली सिर्फ हाथ मलती रह जाती है। ज्योति नगर इलाके में 2022 में ताला-चाबी गैंग ने बड़े ही अजब तरीके से वारदात की। पीड़ित ने गली में घूम रहे दो चाबी बनाने वालों को बुलाया। ऑफिस के दराज की चाबी बनवानी थी। कुछ देर बाद कहने लगे कि इसी तरह की चाबी मिल जाए तो बनाने में आसानी होगी। पीड़ित घर के अलमारी के सेफ की चाबी ले आए। चाबी बनाने वाले ने उसे टेड़ा कर दिया। पीड़ित चेक करने गए तो अलमारी की चाबी नहीं खुली। युवक भीतर गया और कुछ देर बाद लॉक खोल दिया। हिदायत दी कि 20 मिनट से पहले मत खोलना। दोनों वहां से चले गए। करीब 20 मिनट बाद पीड़ित ने चाबी खोली तो पांच लाख की जूलरी गायब थी। पिछले साल एक मध्य प्रदेश का गिरोह पकड़ा गया। इसके मेंबर रेलवे स्टेशनों के करीब होटल में ठहरते थे। दोपहर में चाबी बनाने के दौरान तो वारदात करते ही थे। इसके अलावा कॉलोनियों में घूमते हुए जो घर बंद दिखते थे, वहां रात तो सेंधमारी की वारदात भी करते थे। इसी तरह का एक गैंग इस साल भी पकड़ा गया है। दोनों वारदात सीसीटीवी कैमरों और अपराधियों के डॉजियर के जरिए सुलझ सके। वरना इस तरह की चोरी को सुलझाना बड़ा मुश्किल हो जाता है, क्योंकि ये गिरोह मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से होते हैं, वारदात कर फरार हो जाते हैं। अजीत झा/ देवेन्द्र/ नई दिल्ली/ईएमएस/01/ नवम्बर /2024