क्षेत्रीय
29-Oct-2024
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वाराणसी (ईएमएस) । धनतेरस त्यौहार के अवसर पर लोग मार्केट में तरह-तरह की गृह सामग्री खरीदने में व्यस्त हैं, लेकिन आज के दिन आभूषण की सामग्री एवं बर्तन के सामानों की खरीददारी प्रमुख रूप से की जाती है। लोक परंपराओं के अनुसार धनतेरस के दिन ही घरों में लक्ष्मी, गणेश, काली, दुर्गा, ग्वालिन आदि सजाकर भड़ेसर करने की परंपरा वाराणसी निभाई जाती है। इस निराली लोक परंपरा, जिसे हिंदू धर्म के लोग ही मानते हैं, मगर किसी हिन्दू धार्मिक आयोजन का हिस्सा कोई मुसलमान बनता है तो यह हमारी गंगा -जमुनी संस्कृति एवं सांप्रदायिक समरसता की अटूट मिशाल है। वाराणसी के काशी विद्यापीठ विकासखंड अंतर्गत बच्छाव बाजार में नवनीत के बर्तन की दुकान से बुनकर कॉलोनी की रहने वाली जयमुन्नीसा धनतेरस पर बर्तन के रूप में अपने घर के लिए गैस चूल्हा खरीदा है। इस पर जब जयमुन्नीसा से यह पूछा गया की धनतेरस पर आप क्यों खरीददारी कर रही है। इसपर उनका जबाब था कि, हम सभी हिंदू -मुस्लिम मिलकर रहते हैं और एक दूसरे के त्यौहार को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। वाराणसी के प्रमुख बर्तन व्यवसायी जगन्नाथ साव के बंसज अरुण कुमार बताते हैं कि बर्तन का यह कारोबार हमारी सातवीं पीढ़ी कर रही है, और डेढ़ सौ साल पहले वाराणसी में ही यह कारोबार शुरू किया गया था।उन दिनों वाराणसी में 100 से ऊपर बर्तन बनाने के कारखाने थे, जिसमें लोहा, पीतल, तांबा, कांसा, इत्यादि के बर्तन बनाए जाते थे। उन दिनों मध्य प्रदेश राज्य के कटनी, जबलपुर और रीवा इत्यादि जनपदों में यहां से बर्तनो की थोक सप्लाई जाती थी। अरुण कुमार बताते हैं कि उनके पुरखे बताते थे कि उन दिनों वाराणसी में 100 के आसपास होलसेल की दुकाने थी। उन दिनों भी होली और दिवाली के त्योहार पर राष्ट्रीय एकता,सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारा देखने को मिलता था। अरुण कुमार बताते हैं कि आज के दिन विशेष कर महिलाएं पूजा पाठ से जुड़ा बर्तन खरीदती हैं। इसके अलावा कुकर, गैस चूल्हा कंडाल, दीपदान, घंटी इत्यादि प्रमुख रूप से खरीदारी करती हैं। वाराणसी में आज से दीपावली का त्यौहार शुरू हो जायेगा और देव दीपावली,यानी 15 नवंबर को समाप्त होगा। डॉ नरसिंह राम /ईएमएस/28 अक्टूबर24