अंतर्राष्ट्रीय
23-Oct-2024
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मॉस्को(ईएमएस)। भारत और चीन के बीच रिश्ते बेहद अच्छे होने वाले हैं। दोनो ही देश इसके लिए सहमत हो गए हैं। कहीं कोई गड़बड़ी न हो इसके लिए रुस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन शांतिदूत की भूमिका में रहेंगे। रूस के कजान में ब्रिक्स देशों की बैठक के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने डिनर का कार्यक्रम रखा। डिनर के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पुतिन और चीन के राषट्रपति शी जिनपिंग साथ-साथ दिखे। दुनिया के तीनों दिग्गज नेताओं के बीच संबंध काफी सौहार्दपूर्ण दिखे। पीएम मोदी और शी जिनिपिंग की यह मुलाकात कई मायनों में खास है। गलवान घाटी की घटना के बाद दोनों देशों के बीच दूरी आ गई है। ब्रिक्स की बैठक से पहले इस समस्या का हल निकालने के लिए दोनों देश एक समझौते पर पहुंचे हैं। ब्रिक्स गाला डिनर के दौरान पुतिन को पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बैठाया गया। यह तीनों देशों के बीच घनिष्ठ राजनयिक संबंधों की ओर बदलाव का संकेत देता है। मोदी और शी जिनपिंग की आखिरी बार सीमा गतिरोध शुरू होने से महीनों पहले अक्टूबर 2019 में मामल्लापुरम में बैठक हुई थी। रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से दोनों देशों के बीच रिश्ते काफी मजबूत हुए हैं। दोनों ही देश अमेरिका को नापसंद करते हैं। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में एक दोस्ताना पल भी कैद हुआ जब व्लादिमीर पुतिन ने नरेंद्र मोदी से हाथ मिलाकर और गले मिलकर उनका अभिवादन किया। इससे उनके करीबी रिश्ते का पता चलता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 4 जुलाई को कजाकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में और 25 जुलाई को लाओस में आसियान से संबंधित बैठकों के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी 12 सितंबर को सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स बैठक में वांग से मुलाकात की। बता दें कि विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मंगलवार को कहा कि पीएम मोदी और शी जिनपिंग बुधवार को रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय बैठक करेंगे। यह दोनों देशों के बीच चार साल से चल रहे सैन्य गतिरोध को समाप्त करने में एक बड़ी सफलता है। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों एशियाई दिग्गजों के बीच संबंध काफी खराब हो गए थे।