राज्य
22-Oct-2024


:: इन्दौर में 12 हजार स्थानों पर हो रहा है 100 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन :: इन्दौर (ईएमएस)। मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इन्दौर हरक्षेत्र में प्रथम स्थान पर रहने की दौड़ में शामिल रहता है। देश में स्वच्छता में पहले रहने वाला इन्दौर पीएम सूर्यघर योजना लागू होने के बाद से सौर ऊर्जा उत्पादन में मप्र के अन्य शहरों को पछाड़ कर पहले स्थान पर बना हुआ है। इन्दौर महानगर क्षेत्र में करीब 12000 स्थानों पर सौर ऊर्जा उत्पादन हो रहा है, इसकी कुल क्षमता 100 मैगावाट के पार हैं। पीएम सूर्यघर योजना लागू होने के बाद से मालवा - निमाड़ यानि पश्चिम मप्र में सूरज की किरणों से बिजली तैयार करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या में अस्सी प्रतिशत तक वृद्धि दर्ज हुई है, जो कि अपने आप में एक रिकार्ड वृधि है। वर्तमान में पश्चिम मप्र में 20 हजार से अधिक स्थानों, छतों, परिसरों से रूफ टॉप सोलर नेट मीटर के तहत ऊर्जा उत्पादन हो रहा है, अब प्रतिमाह सौर उर्जा से जुड़ने वाले उपभोक्ताओं कि संख्या लगभग एक हजार प्रतिमाह हो गयी है l मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के उपलब्ध आंकड़े बताते है कि इस कैलेंडर वर्ष में सौर ऊर्जा के प्रति सबसे ज्य़ादा आकर्षण देखा गया है। पीएम सूर्यघर योजना लागू होने के बाद बहुत तेजी से बिजली उपभोक्ताओं का रूझान इस ओर रहा, यहीं कारण हैं कि फरवरी से अक्टूबर के बीच करीब नौ हजार से ज्यादा बिजली उपभोक्ता इससे जुड़े चुके हैं। इन उपभोक्ताओं की छतों, परिसरों पर सौर पैनल्स लग चुके हैं, यहीं नहीं इनकी बिजली भी उत्पादित होकर विधिवत रूप से मीटर और बिलिंग सिस्टम में दर्ज हो रही है। इसका लाभ उपभोक्ताओं द्वारा लिया जा रहा है। कई उपभोक्ताओं के बिजली के बिलों में भारी कमी आई है वहीँ अनेक उपभोक्ताओं के बिल तो क्रेडिट में आ रहे हैं l प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान में कंपनी क्षेत्र में निम्न दाब और उच्च दाब से संबंद्ध उपभोक्ताओं के यहां 19750 स्थानों पर नेट मीटर लगे हैं। इनकी कुल उत्पादन क्षमता 200 मेगावाट के करीब है। सबसे ज्यादा उत्पादन इन्दौर शहर क्षेत्र, सुपर कॉरिडोर, बायपास इत्यादि स्थानों पर हो रहा है। :: इन्दौर पहले, उज्जैन दूसरे, देवास तीसरे स्थान पर :: इन्दौर महानगर क्षेत्र में करीब 12000 स्थानों पर सौर ऊर्जा उत्पादन हो रहा है, इसकी कुल क्षमता 100 मेगावाट के पार हैं। दूसरे स्थान पर उज्जैन जिला 2200 स्थानों पर, तीसरे स्थान पर देवास जिला 1020 स्थानों पर रूफ टॉप सोलर मीटर वाला हैं। कंपनी क्षेत्र में चौथे स्थान पर रतलाम जिला 755 स्थान, पांचवां स्थान खरगोन जिला 750 स्थान पर हैं। इसके बाद अन्य जिलों में 40 से 450 छतों, परिसरों में रूफ टॉप सोलर नेट मीटर के माध्यम से बिजली उत्पादन हो रहा हैं। :: सर्वाधिक सब्सिडी देय :: इस वर्ष 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीराम मंदिर में रामलला के विग्रह की प्राणपतिष्ठा के बाद प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना की घोषणा करते हुये कहा था कि इस योजना से भारत के एक करोड़ घरों में सोलर सन्यंत्रों से पैदा होने वाली बिजली से घरों में बिजली का बिल न्यूनतम हो जायेगा। प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के शुरू होने के पहले तीन किलोवाट तक के सोलर पैनल लगवाने पर करीब 43 हजार रूपये सब्सिडी मिलती थी। अब इस योजना में सब्सिडी बढ़ाकर 78 हजार रूपये कर दी गई है। केंद्र शासन वर्ष 2024 के प्रारंभ से ही तीन किलो वॉट तक के सोलर पैनल्स पर अधिकतम 78 हजार रुपए की सब्सिडी दे रही हैं। यह प्रति किलो वॉट के हिसाब से अब तक की अधिकतम सब्सिडी हैं। उपभोक्ता जो राशि खर्च करता है, वह करीब तीन वर्ष में बिल से बच जाती हैं। :: घरेलु उपयोग के लिये ही सब्सिडी :: रूफटॉप सोलर संयंत्र कोई भी उपभोक्ता अपने घरेलू अथवा व्यावसायिक उपयोग के लिये स्थापित करवा सकता है लेकिन सब्सिडी केवल घरेलू उपयोग के लिये स्थापित किये जाने वाले ही सोलर संयंत्र पर मिलेगी। घरेलू अथवा व्यावसायिक उपयोग के लिये लगाये जाने वाले रूफटॉप सोलर संयंत्र के पूर्व यह भी जानना जरूरी है कि उपभोक्ता को कितने किलोवाट का संयंत्र लगवाना है। यदि उसके घर अथवा व्यावसायिक परिसर में बिजली का कनेक्शन कम किलोवाट का है तो सबसे पहले बिजली कम्पनी से उसकी क्षमता यानि जरूरत के मुताबिक किलोवाट स्वीकृत करवा लेना चाहिये। उदाहरण के लिये उपभोक्ता के घर में वर्तमान में 2 किलोवाट का कनेक्शन स्वीकृत है और वह तीन किलोवाट का रूफटॉप सोलर संयंत्र लगवाना चाहता है तो उसे सबसे पहले बिजली कम्पनी से अपने घर के कनेक्शन को तीन किलोवाट में परिवर्तन करवाना होगा। उसके बाद ही आगे की कार्रवाई करें। अभी वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा एक किलोवाट पर 30 हजार रुपये, दो किलोवाट पर 60 हजार रुपये और तीन किलोवाट पर 78 हजार रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। घरेलू उपयोग के लिये उपभोक्ता अधिकतम 10 किलोवाट तक रूफटॉप सोलर संयंत्र स्थापित करवा सकता है लेकिन सब्सिडी अधिकतम 78 हजार रुपये ही मिलेगी। :: रूफ टाप सोलर संयंत्र की कीमत :: भारत में रूफ टाप सोलर सन्यंत्र की मांग तेजी से बढ़ रही है। इस कारण बड़ी संख्या में सोलर पैनल निर्माता के साथ इंवर्टर तथा अन्य सामान का उत्पादन करने वाली कम्पनियां भी बढ़ रही हैं। सोलर पैनल और उपकरणों की कामतें उनकी गुणवत्ता के अनुसार होती हैं इसलिये बाजार का सर्वेक्षण कर लेना उपयुक्त रहता है। आमतौर पर एक किलोवाट क्षमता के संयंत्र लगवाने का खर्च 45 हजार रुपये से लेकर 70 हजार रुपये तक आता है। यह अंतर सोलर पैनल, इन्वर्टर, स्ट्रक्चर और अन्य सामान की गुणवत्ता के अनुसार कम या ज्यादा हो सकती है। सोलर संयंत्र लगवाते समय संयंत्र की तय राशि देनी होती है। सब्सिडी की राशि बाद में उपभोक्ता के बैंक खाते में हस्तांतरित की जाती है। :: सोलर संयंत्र लगवाने की प्रक्रिया :: वर्तमान में सोलर सन्यंत्र लगाने के लिये बड़ी संख्या में विक्रेता हैं लेकिन उसी विक्रेता से लगवाना उपयुक्त रहेगा जिसका पंजीयन बिजली कम्पनी अथवा नेशनल पोर्टल में है। विक्रेता का चुनाव और सन्यंत्र लगवाने की सेवा शर्तें पूरी करने के बाद नेशनल पोर्टल http://pmsuryaghar.gov.in पंजीयन करवाना होता है। आमतौर पर पंजीयन और बिजली कम्पनी से सम्बंधित सभी काम विक्रेता ही कर देते है। सभी जानकारी सही देनी चाहिये ताकि भविष्य में किसी भी तरह की परेशानी न हो। बैंक खाता नम्बर भी वही दें जिसमें सब्सिडी हस्तांतरित करवाना चाहते हैं। यदि उपभोक्ता संयंत्र लगवाने के लिये बैंक से ऋण लेना चाहते हैं तो 15 प्रतिशत मार्जिन राशि जमा करनी होगी। शेष राशि करीब 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर अधिसूचित बैंक से मिल जायेगी। पंजीयन स्वयं करें या किसी की मदद से कर रहे हैं अथवा विक्रेता से करवा रहे हैं तो पंजीयन के समय स्वयं भी उपस्थित रहें ताकि सभी जानकारियां सही दर्ज हो। :: सोलर संयंत्र का रखरखाव (मेंटेनेंस) :: आमतौर से भारत में जितने भी सोलर संयंत्र लगाये जा रहे हैं, सभी विक्रेता आश्वासन देते हैं कि सोलर संयंत्र से 25 साल तक बिजली पैदा होगी। विक्रेता संयंत्र के रखरखाव की पांच साल तक की जिम्मेदारी लेते हैं। बाद में वार्षिक अनुबंध भी कर सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण सोलर पैनलों की साफ सफाई सप्ताह में एक बार अवश्य करनी चाहिये। धूल जम जाने से बिजली का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। पाइप से तेज पानी की धार से पैनल को साफ करना चाहिये। यदि हाथ से साफ कर रहे है तो हाथ में अंगूठी अथवा कड़ा नहीं पहनना चाहिये। अंगूठी या कड़े से खरोंच आ सकती है जिससे पैनल खराब हो सकता है। यदि कपड़े से साफ कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि कपड़े में कोई कंकड़ या रगड़ करने वाली वस्तु न हो। प्लास्टिक फाईबर के वाईपर से सफाई करने से बचना चाहिये क्योंकि फाईबर सख्त होता है जिससे पैनल पर रगड़ आने से खराब होने की सम्भावना होती है। पैनल को कभी भी गरम पानी से साफ नहीं करना चाहिये। पैनल साफ करने का सबसे उपयुक्त समय प्रात: जल्दी और शाम को सूरज ढलने के बाद ही रहता है। रूफटॉप सोलर संयंत्र पर होने वाले खर्च का समायोजन करीब - करीब पांच साल में हो जाता है। उसके बाद अगले 20 से अधिक वर्षों तक बिजली के बिल से राहत मिलेगी। केवल बिजली कम्पनी द्वारा निर्धारित तय (फिक्स्ड) राशि और अधिक उपयोग की गई बिजली का ही भुगतान करना होगा। पीएम सूर्य घर योजना निश्चित ही उपभोक्ताओं के लिये फायदेमंद है। इस योजना का लाभ उठाकर तापीय बिजली की जरूरत को थोड़ा कम कर सकते हैं। यह पर्यावरण को स्वच्छ रखने में हमारी भागीदारी सुनिश्चित करेगी। उमेश/पीएम/22 अक्टूबर 2024