अंतर्राष्ट्रीय
22-Oct-2024


टोक्यो (ईएमएस)| जापान में एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है। यहां के इवाओ हाकामाद की कहानी बेहद हैरान करने वाली है और न्यायायिक व्यवस्था, पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करती है। इवाओ हाकामाद की कहानी बताती है कि कैसे पुलिस की गलितयों के चलते एक आम आदमी का पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है। हाकामादा की कहानी न्याय के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है और यह दिखाती है कि किस प्रकार सिस्‍टम की गलती एक व्यक्ति के जीवन को नष्ट कर सकती है। ऐसे मामलों में सुधार की आवश्यकता है ताकि भविष्य में कोई भी निर्दोष व्यक्ति इस तरह की त्रासदी का शिकार न हो। जापान के इवाओ हाकामादा, जिन्होंने अपने जीवन के 60 साल एक झूठे हत्या के मामले में जेल में बिताए, अब 88 वर्ष की आयु में आखिरकार रिहा हो गए हैं। यह मामला एक न्यायिक त्रुटि और पुलिस की गलतियों को उजागर करता है, जिसने एक नागरिक के जीवन को बर्बाद कर दिया। हाकामादा को 1966 में तीन लोगों की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उन्हें 1968 में मौत की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, लंबे समय तक चली अपील और कानूनी प्रक्रियाओं के कारण उनकी सजा लागू नहीं की जा सकी। हाकामादा ने अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए लगातार कानूनी लड़ाई लड़ी, जिसके चलते उनके मामले ने जापान में मौत की सजा के खिलाफ बहस को पुनर्जीवित किया। हाल ही में, शिजुओका डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया, यह पुष्टि करते हुए कि पुलिस और अभियोजकों ने सबूत गढ़ने के लिए साठगांठ की थी और हाकामादा को बंद कमरे में घंटों तक हिंसक पूछताछ के बाद जुर्म कबूल करने के लिए मजबूर किया गया था। पुलिस प्रमुख ने घर जाकर मांगी माफी पुलिस प्रमुख ताकायोशी सुडा ने सोमवार को हाकामादा के घर जाकर उनसे व्यक्तिगत रूप से माफी मांगी। सुडा ने कहा, हमें खेद है कि गिरफ्तारी से लेकर बरी होने तक आपको मानसिक कष्ट और बोझ का सामना करना पड़ा, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। उन्होंने मामले की उचित जांच का भी वादा किया। हाकामादा का मामला न केवल उनके व्यक्तिगत दुख को दर्शाता है, बल्कि यह भी इंगित करता है कि कैसे एक न्यायिक प्रणाली के भीतर मानवीय अधिकारों का उल्लंघन किया जा सकता है। उनकी रिहाई ने जापान में मौत की सजा पर चर्चा को फिर से शुरू कर दिया है और इसे लेकर कानूनी बदलाव की मांग उठने लगी है। बालेन्द्र/ईएमएस 22 अक्टूबर 2024