अंतर्राष्ट्रीय
22-Oct-2024


इस्लामाबाद (ईएमएस)। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगान ने जब पिछले माह संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में संबोधन के दौरान कश्मीर मुद्दे पर चुप्पी साधी रही। इससे पाकिस्तान हैरान रह गया था। 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने के मोदी सरकार के फैसले के बाद से पहली बार था, जब एर्दोगान ने कश्मीर पर चुप्पी साधे रही थी। कश्मीर पर एर्दोगान के चुप बैठने के बाद अब भारत ने भी तुर्की को लेकर रुख नरम किया है। कजान में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और एर्दोगान में मुलाकात हो सकती है। एर्दोगान के इस बदले रुख पर पाकिस्तानी जानकार भारत की एक बड़ी जीत के रूप में देख रहे हैं। पाकिस्तानी विशेषज्ञ कमर चीमा ने तुर्की के राष्ट्रपति के बदले अंदाज को पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका बताया है। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया के लिए कश्मीर का मसला पीछे हो गया है। वर्तमान में कश्मीर के मामले पर पाकिस्तान का समर्थन कमजोर होता जा रहा है। उन्होंने बताया कि कोई भी इस्लामिक देश आज कश्मीर पर चर्चा नहीं कर रहा है। वहीं, भारत की स्थिति बहुत साफ होती जा रही है। एर्दोगान की कश्मीर पर चुप्पी की वजह बताकर चीमा कहते हैं कि तुर्की भी ब्रिक्स की सदस्यता चाहता है। भारत ब्रिक्स का संस्थापक सदस्य है। चीमा ने बताया कि अब सुनने में आ रहा है कि नरेंद्र मोदी और एर्दोगान की मुलाकात हो सकती है। इस दौरान संभावना है कि वह भारत से अनुरोध करें, कि वह तुर्की को भी ब्रिक्स में शामिल करे। चीमा ने कहा कि इस मु्दे पर एर्दोगान के लिए कश्मीर का मुद्दा नहीं रह जाता है। चीमा ने कहा कि एर्दोगान को एक चीज समझ आ गई है कि उन्हें भारत के साथ मिलकर काम करना है। चीमा ने भारत के बारे में कहा कि वह एक तरफ एससीओ और ब्रिक्स का सदस्य है, जबकि वह अमेरिकी नेतृ्त्व वाली क्वॉड में भी शामिल है। इसके साथ ही वह जी7 में भी अतिथि भूमिका में बुलाया जाता रहा है। चीमा ने भारत की कूटनीति का जिक्र करते हुए कहा कि भारत जब पश्चिम की तरफ जाता है, तब कहता है कि हम ब्रिक्स का हिस्सा हैं, जो गैर पश्चिमी गुट है। चीमा ने कहा कि भारत ने जैसे तुर्की को कंट्रोल किया है और चुप कराया है,उसी तरह वह आगे भी दूसरे मुल्कों के साथ करना चाहेगा। आशीष दुबे/ 22 अक्टूबर 2024