राष्ट्रीय
22-Oct-2024


वाराणसी(ईएमएस)। पिछले कई महीनों से ज्ञानवापी मामले की सुनवाई अलग अलग अदालतों में चल रही है। इससे विवाद को सुलझाने में काफी वक्त लग रहा है। चार महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर वाराणसी की जिला और सिविल जज की अदालतों में लंबित 15 मुकदमों को इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की है। याचिकाकर्ताओं ने अदालत से गुहार लगाई है कि इन सभी मुकदमों को एकसाथ एक ही अदालत में चलाया जाए, ताकि विवादों का त्वरित समाधान हो सके। ज्ञानवापी परिसर से जुड़े कुल 15 मुकदमे फिलहाल वाराणसी की निचली अदालतों में लंबित हैं, जिनमें से 9 मामले जिला अदालत में और 6 मामले सिविल जज की अदालत में हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सभी मामलों का एक साथ निपटारा सुनिश्चित करने के लिए उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया जाना चाहिए। इस याचिका के चलते ज्ञानवापी विवाद पर नए सिरे से चर्चा शुरू हो गई है, और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस पर क्या फैसला सुनाता है। याचिकाकर्ता महिलाओं की मांग है कि उन्हें ज्ञानवापी परिसर में पूजा और दर्शन का अधिकार मिलना चाहिए, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में आगे की सुनवाई महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ज्ञानवापी परिसर में दर्शन और पूजा के अधिकार को लेकर कई मुकदमे वाराणसी की अदालतों में लंबित हैं, जिन्हें उच्च अदालत में ट्रांसफर किया जाना चाहिए। याचिका दाखिल करने वाली लक्ष्मी देवी और तीन अन्य महिलाओं का दावा है कि ज्ञानवापी परिसर में स्थित विवादित स्थल भगवान विश्वेश्वर का मूल मंदिर है। इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वे दर्शन और पूजा के उनके अधिकार को सुनिश्चित करें। कई महत्वपूर्ण कानूनी मुद्दे शामिल वकील विष्णु शंकर जैन के माध्यम से दाखिल की गई इस याचिका में कहा गया है कि सिविल जज और जिला जज की अदालतों में लंबित मुकदमों में कई महत्वपूर्ण कानूनी मुद्दे शामिल हैं, जिन्हें केवल बड़ी अदालत द्वारा हल किया जाना चाहिए। यह विवाद अक्टूबर 1991 से चला आ रहा है, जब वाराणसी सिविल जज के समक्ष भगवान विश्वेश्वर और पांच अन्य की ओर से एक याचिका दायर की गई थी। इसमें काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट स्थित ज्ञानवापी परिसर की बहाली और वहां से मुसलमानों को हटाने की मांग की गई थी। इसके बाद से लगातार इस मुद्दे पर विभिन्न अदालतों में मामले दर्ज किए गए हैं, और विवाद अब भी जारी है। वीरेन्द्र विश्वकर्मा/ईएमएस 22 अक्टूबर 2024 --------------------------------------------------