22-Oct-2024
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नई दिल्ली (ईएमएस) । आमतौर पर किसान पशुओं को खिलाने के लिए बारसीम, मक्का, बाजरा, ग्वार और ज्वार जैसे चारे का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन ज्वार को पशुओं के लिए हरे चारे के रूप में इस्तेमाल करते समय विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है। पशु विशेषज्ञों का कहना है कि ज्वार, हरे चारे के रूप में लाभकारी होता है, लेकिन इसकी कटाई के समय सावधानी नहीं बरतने पर यह नुकसानदायक हो सकता है। ज्वार को बुवाई के लगभग 50 दिन बाद काटा जाना चाहिए, क्योंकि इस समय तक इसमें पोषक तत्वों की सही मात्रा होती है। अगर ज्वार की सिंचाई ठीक तरह से न की जाए या कटाई में देरी हो, तो इसमें हाइड्रोजन साइनाइड (एचसीएन) नामक जहरीला तत्व विकसित हो सकता है। यह तत्व पशुओं के स्वास्थ्य पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डालता है और उन्हें बीमार कर सकता है। इसलिए पशुपालकों को सलाह दी जाती है कि ज्वार की सही समय पर कटाई करें और उसकी सिंचाई का खास ख्याल रखें। हरे चारे में नमी की मात्रा अधिक होती है, जिससे पशु इसका अधिक मात्रा में सेवन करते हैं। इससे उन्हें डायरिया जैसी बीमारियों का खतरा हो सकता है। इसके अलावा, अत्यधिक नमी वाला चारा दुग्ध उत्पादन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है। पशु विशेषज्ञों के मुताबिक, हरा चारा खिलाने के साथ-साथ पशुओं को सूखा चारा भी देना चाहिए। सूखा चारा नमी की मात्रा को संतुलित करता है और पाचन प्रक्रिया में सहायक होता है। साथ ही, सूखे चारे में अनाज का मिश्रण भी देना चाहिए, जिससे पशुओं को आवश्यक प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व मिलते हैं। किसानों के लिए हरे चारे के साथ सूखा चारा और अनाज का संतुलित मिश्रण देना आवश्यक है, क्योंकि इससे पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर होता है और दूध में वसा की मात्रा बढ़ती है। इससे दुग्ध उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार होता है, जो किसानों के लिए अधिक फायदेमंद साबित हो सकता है। बता दें कि भारत में खेती-किसानी के साथ पशुपालन भी एक महत्वपूर्ण व्यवसाय बन चुका है। किसान बड़ी संख्या में दुधारू पशुओं जैसे गाय, भैंस और बकरी का पालन कर रहे हैं। इन पशुओं के अच्छे स्वास्थ्य और बेहतर दुग्ध उत्पादन के लिए उन्हें हरा चारा खिलाना बेहद जरूरी होता है। हरा चारा पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो पशुओं की उत्पादकता और सेहत दोनों में सुधार लाता है। सुदामा/ईएमएस 22 अक्टूबर 2024