22-Oct-2024
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नई दिल्ली (ईएमएस)। पिछले कुछ वर्षों में, कोविड-19 महामारी और युद्ध जैसी अप्रत्याशित घटनाओं के चलते कई भारतीय छात्रों को विदेशों से जल्दी वापस आना पड़ा। इसी कारण से यह सुनिश्चित करना आवश्यक हो जाता है कि किसी भी विदेशी यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने से पहले इन सभी पहलुओं की जांच कर ली जाए। इससे भविष्य में आने वाली चुनौतियों से बचा जा सकता है। हर साल हजारों भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेशों का रुख करते हैं, खासतौर पर एमबीबीएस, एमबीए, और इंजीनियरिंग के पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्सेज के लिए। हालांकि, किसी भी विदेशी यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने से पहले कुछ जरूरी पहलुओं पर ध्यान देना बेहद जरूरी है, जैसे उस यूनिवर्सिटी की रैंकिंग और संबंधित देश के साथ भारत के राजनीतिक और आर्थिक संबंध। इससे छात्र बिना किसी असुविधा के सही यूनिवर्सिटी का चयन कर पाते हैं। पहले भारतीय छात्र शिक्षा के लिए चीन, रूस, और यूक्रेन जैसे देशों की ओर रुख करते थे, लेकिन मौजूदा राजनीतिक हालातों को देखते हुए अब ये छात्र इन देशों से बच रहे हैं। अब छात्रों के बीच संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, सिंगापुर, न्यूजीलैंड, स्वीडन और नॉर्वे ज्यादा लोकप्रिय है। इन देशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने से न केवल बेहतर करियर विकल्प मिलते हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक मजबूत नेटवर्क भी विकसित होता है। इन कोर्सेस में है छात्रों की रुचि एमबीए (मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन) एमएस (मास्टर ऑफ साइंस) – इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस, डेटा साइंस एमए (मास्टर ऑफ आर्ट्स) – मैनेजमेंट, इकोनॉमिक्स, फाइनेंस बीटेक (बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी) – इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस एमडी (डॉक्टर ऑफ मेडिसिन) – मेडिसिन, हेल्थकेयर एमफार्मा (मास्टर ऑफ फार्मेसी) – फार्मेसी एलएलएम (मास्टर ऑफ लॉ) – लॉ, ह्यूमन राइट्स एमएचए (मास्टर ऑफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन) – हेल्थकेयर मैनेजमेंट एमएसडब्ल्यू (मास्टर ऑफ सोशल वर्क) – सोशल वर्क डेटा साइंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सिक्योरिटी जैसे डिग्री कोर्सेस। वीरेन्द्र/ईएमएस 22 अक्टूबर 2024