राज्य
20-Oct-2024
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- जहर से भी बदतर हैं नकली आलू - प्रदेश की मंडियों आवक की आशंका भोपाल (ईएमएस)। आलू, जिसे सब्जियों का राजा कहा जाता है, अब नकली रूप में भी बाजारों में बेचा जाने लगा है। यह खबर सुनकर चौंक सकते हैं, लेकिन फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की जांच में यह खुलासा हुआ है कि मंडियों में नकली आलू की एंट्री हो चुकी है। इसे बनाने में केमिकल्स का उपयोग हो रहा है, जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक हैं। मध्यप्रदेश सरकार अलर्ट पर यूपी के बलिया में नकली आलू पकड़े जाने के बाद मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार ने भी इस मामले में सक्रियता दिखाई है। मध्यप्रदेश फूड सेफ्टी विभाग जल्द ही सब्जी मंडियों में नकली आलुओं की जांच और निगरानी शुरू करेगा। खाद्य विभाग की ओर से त्योहारों के मद्देनजर प्रदेशभर में सख्त निर्देश जारी किए गए हैं और जहां भी गड़बड़ी मिलेगी, वहां कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने आम लोगों से भी आग्रह किया कि वे आलू खरीदते समय सावधानी बरतें और किसी भी संदिग्ध उत्पाद की शिकायत विभाग में दर्ज कराएं। -कैसे बनता है नकली आलू? हाल ही में यूपी के बलिया जिले में एसएसडीए ने 21 क्विंटल नकली आलू जब्त किया है। जानकारी के अनुसार, इन आलुओं को केमिकल्स से पकाया और रंगा जाता है। नकली आलुओं में कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल होता है, जो आर्सेनिक और फॉस्फोरस जैसे घातक रसायन पैदा करता है। इससे पेट में जलन, उल्टी, घबराहट और डायरिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लंबे समय तक इस तरह के आलुओं का सेवन कैंसर जैसी घातक बीमारियों का कारण बन सकता है। -नकली आलू की कैसे करे पहचान? फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) के अनुसार, नकली आलू की पहचान करने के लिए आलू को हल्का मसलें। अगर आलू रंग छोड़ने लगता है, तो यह नकली हो सकता है। इसके अलावा, गरम पानी में आलू को डालकर देखें, अगर पानी में रंग उतरने लगे, तो यह आलू नकली हो सकता है। सफेद आलुओं में अक्सर कैसरजनिक डाई का उपयोग कर उन्हें अधिक कीमतों पर बेचा जाता है।