राष्ट्रीय
18-Oct-2024
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सुको ने कहा- लड़कियां बालिग और मर्जी से आश्रम में रह रही थीं, पुलिस जांच थी गलत नई दिल्ली (ईएमएस)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ बंधक बनाने के आरोपों को लेकर दायर केस को बंद कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि मद्रास हाईकोर्ट का इस तरह की याचिका पर जांच के आदेश देना उचित नहीं था, और पुलिस का आश्रम में छापा मारना भी गलत था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि याचिका गलत थी, क्योंकि दोनों लड़कियां, लता और गीता, जब ईशा फाउंडेशन के आश्रम में गई थीं, तब उनकी उम्र क्रमशः 27 और 24 वर्ष थी। वे अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही थीं। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस फैसले का असर केवल इसी मामले तक सीमित रहेगा और इसका अन्य मामलों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 3 अक्टूबर को पुलिस जांच के आदेश पर रोक लगा दी थी और अब इस मामले को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती ईशा फाउंडेशन के खिलाफ यह याचिका रिटायर्ड प्रोफेसर एस. कामराज ने मद्रास हाईकोर्ट में दायर की थी। उनका आरोप था कि उनकी बेटियों को आश्रम में बंधक बनाकर रखा गया है। हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को मामले की जांच का आदेश दिया था और फाउंडेशन से जुड़े सभी क्रिमिनल केसों की डिटेल पेश करने को कहा था। इसके बाद 1 अक्टूबर को लगभग 150 पुलिसकर्मी आश्रम में पहुंचे थे।