राज्य
18-Oct-2024


- त्योहारों में जीएसआरटीसी की अतिरिक्त बसें नियमित किराया से 1.25 गुना अधिक किराया वसूलेंगी अहमदाबाद (ईएमएस)| दिवाली त्योहार में गुजरात राज्य पथ परिवहन निगम (जीएसआरटीसी) की अतिरिक्त बसों में नियमित किराया से सवा गुना किराया वसूलने की भाजपा सरकार की लूट नीति पर प्रहार करते हुए गुजरात कांग्रेस के मीडिया संयोजक एवं प्रवक्ता मनीष दोशी ने कड़े प्रहार किया है| मनीष दोशी ने कहा कि जीएसआरटीसी ने आगामी त्योहारों को ध्यान में रखते हुए 8340 अतिरिक्त बसें चलाने की योजना बनाई है। हम इसका स्वागत करते हैं लेकिन यह कितना उचित है कि इन अतिरिक्त बसों में निजी बसों की तरह जीएसआरटीसी यात्रियों से खुली लूट चलाएगी? हर शहर में अतिरिक्त बसों में यात्रा करने वाले यात्रियों का 25 से 45 रुपये तक किराया बढ़ाया गया है। जीएसआरटीसी बसों में किराया बढ़ाए जाने पर राज्य के मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार जीएसआरटीसी बसों में यात्रियों को कम किराए पर आधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है| ऐसे समय में कम कीमत पर अच्छी सुविधाएं उपलब्ध कराने के बजाए यात्रियों की जेब पर डाका डालकर महंगाई की मार झेल रही जनता के लिए इस तरह से किराया बढ़ाना कहां तक उचित है? मुख्यमंत्री एवं परिवहन मंत्री को अतिरिक्त बसों का किराया बढ़ाने के फैसले को रद्द कर प्रदेश के 25 लाख यात्रियों को महंगाई के कठिन दौर में किराया वृद्धि के बोझ से राहत देनी चाहिए| जीएसआरटीसी यात्रियों के हित को ध्यान में रखकर कार्य करने वाला निगम का एक सेवा संगठन है। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य यात्रियों के लिए नो-प्रॉफिट-नो-लॉस के आधार पर काम करना है। प्रदेश में जीएसआरटीसी की बसों से रोजाना 25 लाख यात्री सफर करते हैं। कुछ समय पहले जीएसआरटीसी ने डीजल की कीमतों में वृद्धि के कारण एसटी किराए में 25% की बढ़ोतरी की थी। जिसके परिणामस्वरूप जीएसआरटीसी को प्रति वर्ष 687.42 करोड़ की राशि प्राप्त होती है| लेकिन डीजल की कीमतों में कमी के बावजूद एसटी निगम द्वारा किराए में कोई कटौती नहीं की गई है| यात्रियों की जेब से सालाना 1200 करोड़ रुपए जीएसआरटीसी वसूलता है| एक समय जीएसआरटीसी का नारा था हाथ उठाओ और बस में बैठो लेकिन आज जीएसआरटीसी का नारा है अपनी जेब खाली करो और बस में बैठो। जीएसआरटीसी हमारी महंगी सवारी बनती जा रही है। आज की तारीख में राज्य सरकार पर लगभग 45 करोड़ रुपये का बकाया है, क्योंकि एसटी बसों का राजनीतिक उपयोग राज्य के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के सार्वजनिक कार्यक्रमों, भाजपा के पार्टी कार्यक्रम-बैठकों में भीड़ इकट्ठा करने और शासकों की चमचागिरी करने के लिए किया जाता है| जिसका खामियाजा निर्दोष यात्रियों को भुगतना पड़ता है| अगर शासक पहले इन करोड़ों रुपए की शेष राशि जीएसआरटीसी को जमा करा दें तो अतिरिक्त बसों में किराया बढ़ाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी| सतीश/18 अक्टूबर