नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारत के सुप्रीम कोर्ट में ‘न्याय की देवी’ की नई प्रतिमा लगाई गई है, जिसके एक हाथ में तराजू और दूसरे हाथ में संविधान की पुस्तक है। न्यायाधीशों के पुस्तकालय में लगाई गई यह छह फुट ऊंची इस प्रतिमा के हाथ में तलवार नहीं है। सफेद पारंपरिक पोशाक पहने हुए ‘न्याय की देवी’ की आंखों पर पट्टी और हाथ में तलवार नहीं है इसके सिर पर मुकुट सजाया गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि न्याय की देवी की इस प्रतिमा में बदलाव करने से कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आया है। आंखों पर पट्टी का मतलब यह नहीं था कि आंख बंद करके न्याय किया जाता था। इसका वास्तव में मतलब पक्षपात और पूर्वाग्रहों के प्रति अंधापन था। अब देवी की आंखों पर पट्टी नहीं है। इसका मतलब अब भी यह है कि जजों को दुनिया और देश को देखना चाहिए लेकिन उन्हें बुराइयों के आगे नहीं झुकना चाहिए। एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता ने नई की प्रतिमा की भारतीयता की सराहना करते हुए कहा कि आंखों पर से पट्टी हटाने के पीछे का विचार देखना ‘दिलचस्प’ होगा। इसके बारे में भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पहले कहा था कि इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि कानून अंधा होता है। सिराज/ईएमएस 18अक्टूबर24