खेल
18-Oct-2024
...


नई दिल्ली (ईएमएस)। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और दिग्गज स्पिनर अनिल कुंबले ने स्पिन गेंदबाजी को नये आयाम दिये। जहां दिवंगत महान स्पिनर शेन वार्न की गेंद बहुत टर्न होती थीं और गेंद टप्पा खाते ही अपने दिशा बदल लेती थी। वहीं कुंबले की गेंदों में हर चीज परंपरा से उलट थी। गेंदों में तेजी ऐसी थी कि एक बार पाकिस्तान के कप्तान इंजमाम उल हक ने कहा था, हमारी टीम को कुंबले को एक मध्यम तेज गति का गेंदबाज ही मानती है। कुंबले वार्न की तरह हर पिच पर टर्न नहीं करा सकते थे पर घरेलू हालातों में उनकी गेंदों को खेलना बेहद कठिन रहता था। इसी कारण से एक बार इंग्लैंड के एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने कहा था, वार्न और मुरली...दोनों बड़े स्पिनर हैं पर कुंबले अपने अनुकूल हालातों में सबसे खतरनाक हो जाते हैं। उनकीई गेंद अक्सर सीधी जाती थी, गेंद घूमती भी कम थी। कुंबले की गेंदों में विशेषता ये थी कि वह टर्न से ज्यादा गति और उछाल पर खेलती थी। पिच से टर्न मिल गया तो उनकी गुगली खेलना बल्लेबाज के लिए कठिन रहता था। कुंबले रन-अप में अंतिम समय जो उछाल लेते थे, उसने उनकी गेंदों को भी अतिरिक्त उछाल मिल जाता था। सचिन तेंदुलकर जब कप्तान थे तब उन्होंने कहा था, कहीं भी कभी भी। कोई भी पिच हो, कोई भी मौका हो, आप कुंबले पर भरोसा कर सकते हैं। कुंबले का यह अनुशासन, प्रतिबद्धता, ईमानदारी संन्यास के बाद भी रहे। बतौर कोच कुंबले का अनुशासन के मामले में बेहद सख्त रहे। उनके सबसे बेहतर प्रदर्शन में सबसे यादगार था पाकिस्तान के खिलाफ एक ही पारी में 10 विकेट लेना रहा। इसके अलावा साल 2002 के भारत के वेस्टइंडीज दौरे पर उनका जबड़ा टूट गया था। उन्होंने सिर पर पट्टी बांधी और गेंदबाजी शुरू कर दी। वह ज्यादा कुछ नहीं कर पाए लेकिन ब्रायन लारा को आउट कर दिया था। बड़ा यादगार पल था। करियर के अंतिम दिनों ने उन्होंने विदेशी धरती पर भी विकेट लेने शुरू कर दिए थे। तब उन्होंने एक स्लो गुगली गेंद विकसित की थी, जिस पर ग्रांट फ्लावर आउट हुए थे। वह दो महानतम स्पिनरों शेन वार्न और मुथैया मुरलीधरन के समकालीन थे। गिरजा/ ईएमएस 18 अक्टूबर 2024