राष्ट्रीय
16-Oct-2024
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पूर्व पीएम स्टीफन हार्पर के दौरान मजबूत थे संबंध नई दिल्ली (ईएमएस)। खालिस्तानी आतंकवादियों के मुद्दे पर भारत और कनाडा के रिश्तें बिगाड़ते जा रहे है। कनाडा ने आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारतीय राजनयिक की ओर उंगली उठाई, इस पर भारत ने नाराजगी जताकर अपने कुछ उच्चायुक्त को वापस बुलाया। इसके साथ ही, भारत ने कनाडा के छह राजनयिकों को निष्कासित भी कर दिया। उसके बाद कनाडा ने पश्चिमी देशों में भारत के खिलाफ गुटबंदी की कोशिशें तेज की हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने यूनाइटेड किंगडम (यूके) के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से बात की है। ट्रूडो ने अपने विदेश मंत्री को अमेरिका और पश्चिमी देशों के उच्च पदस्थ अधिकारियों से संपर्क साधकर भारत के खिलाफ मौहाल तैयार करने के निर्देश दिए है। भारत ने भी ट्रूडो के नफरती इरादों पर पानी फेरने की तैयारी कर ली है। दरअसल, ट्रूडो जब 2015 में कनाडा के प्रधानमंत्री बने तब से ही भारत के साथ कनाडा के रिश्तों में खटास आने लगी। ट्रूडो से पहले के कनाडाई प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने भारत के साथ अच्छे संबंध रखे थे, लेकिन ट्रूडो ने भारत के प्रति उदासीनता दिखाई। ट्रूडो का खालिस्तानी समर्थकों के प्रति प्यार और जगमीत सिंह के साथ गठबंधन से यह तनाव और बढ़ा। 2018 में ट्रूडो की विवादित भारत यात्रा के बाद से संबंधों में खटास बढ़ी। 2020 में किसान आंदोलन पर ट्रूडो की टिप्पणी ने भी तनाव को बढ़ दिया। 2023 में हरदीप निज्जर की हत्या और ट्रूडो सरकार द्वारा भारत पर लगाए गए आरोपों ने दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को बुरी तरह से प्रभावित किया। 2015-2017: ट्रूडो के शुरुआती साल 2015: जस्टिन ट्रूडो कनाडा के प्रधानमंत्री बने। उन्हें विरासत में भारत और कनाडा के बीच मजबूत संबंध मिला, लेकिन उन्होंने भारत को प्राथमिकता नहीं दी। इसके बाद कुछ लोगों ने ट्रूडो पर आरोप लगाया कि उन्होंने भारत पर ध्यान देने के बजाय चीन को ज्यादा महत्व दिया। 2018: विवादित दौरा 2018: भारत के साथ संबंध सुधारने के मकसद से ट्रूडो ने भारत की यात्रा की, लेकिन यात्रा के दौरान खालिस्तानी आतंकवादी जस्पाल अटवाल को कनाडा के एक राजनयिक कार्यक्रम में बुलाया गया था। यह निमंत्रण रद्द कर दिया गया, लेकिन घटना ने भारत में नाराजगी पैदा की। 2020-2021: तनाव बढ़ा 2020: ट्रूडो ने भारत में चल रहे किसान आंदोलन पर टिप्पणी की, इस बयान को भारत ने देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के रूप में देखकर नाराजगी जाहिर की। 2021: ट्रूडो की पार्टी ने जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ गठबंधन किया, जो खालिस्तानी समर्थक हैं। सिंह के भारत विरोधी रुख के कारण तनाव और बढ़ गया। 2022-2023: संबंधों में गिरावट 2022-2023: कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर तनाव बढ़ने लगा। भारतीय दूतावासों के बाहर खालिस्तानी प्रदर्शन हुए और भारत नाराज हुआ कि कनाडा ने इन समूहों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाए। जून 2023: खालिस्तानी नेता निज्जर की कनाडा में हत्या हो गई। भारत पहले से ही कनाडा से खालिस्तानी समूहों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा था, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद तनाव और बढ़ गया। सितंबर 2023: ट्रूडो का आरोप सितंबर 2023: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाया कि निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ है। इस बयान के बाद राजनयिक तनाव अपने चरम पर पहुंच गया। भारत ने इन आरोपों को सख्ती से नकारा और दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया। कनाडा अपने आरोपों को लेकर ठोस सबूत देने में असफल रहा, तब यह तनाव और गहरा गया। भारत ने कनाडा पर खालिस्तानी अलगाववाद का समर्थन करने का आरोप लगाया। अक्टूबर 2023: संबंधों का अंत अक्टूबर 2023: भारत ने अपने उच्चायुक्त को कनाडा से वापस बुला लिया और कनाडा पर आरोप लगाया कि उसने भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा करने में असफलता दिखाई है। कनाडा ने संभावित प्रतिबंधों का संकेत दिया, जबकि भारत ने कनाडा पर अपनी वैश्विक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। आशीष/ईएमएस 16 अक्टूबर 2024