लेख
12-Oct-2024
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आज साईं बाबा को लेकर सियासत हो रही है लेकिन कुछ प्रश्न जरूर है जो संदेह पैदा करती है साईं बाबा का समाधि स्थल जैसा लगता नहीं और भगवान राम से क़ोई ऐसी खास चीज नहीं मिली है जो भगवान राम के आदशों से जोड़ता हो आदर्शो राम केवल एक नाम भर नहीं , बल्कि वे जन-जन के कंठहार हैं, मन-प्राण हैं, जीवन-आधार हैं| उनसे भारत अर्थ पाता है| वे भारत के प्रतिरूप हैं और भारत उनका| उनमें कोटि-कोटि जन जीवन की सार्थकता पाता है| भारत का कोटि-कोटि जन उनकी आँखों से जग-जीवन को देखता है| उनके दृष्टिकोण से जीवन के संदर्भों-परिप्रेक्ष्यों-स्थितियों-परिस्थितियों-घटनाओं-प्रतिघटनाओं का मूल्यांकन-विश्लेषण करता है| भारत से राम और राम से भारत को विलग करने के भले कितने कुचक्र-कलंक रचे जाएँ, भले कितनी *वामी-विदेशी* चालें चली जायँ, यह संभव होता नहीं दिखता| क्योंकि राम भारत की आत्मा हैं| राम भारत के पर्याय हैं| राम निर्विकल्प हैं, उनका कोई विकल्प नहीं|जिस प्रकार आत्मा को शरीर से और शरीर को आत्मा से कोई विलग नहीं कर सकता, उसी प्रकार राम को भारत से विलग नहीं किया जा सकता| राम के सुख में भारत के जन-जन का सुख आश्रय पाता है, उनके दुःख में भारत का कोटि-कोटि जन आँसुओं के सागर में डूबने लगता है और वे अश्रु-धार भी ऐसे परम-पुनीत हैं कि तन-मन को निर्मल बना जाते हैं। अश्रुओं की उस निर्मल-अविरल धारा में न कोई ईर्ष्या शेष रहती है, न कोई अहंकार, न कोई लोभ, न कोई मोह, न कोई अपना, न कोई पराया| कैसा अद्भुत है यह चरित-काव्य, जिसे बार-बार सुनकर भी और सुनने की चाह बची रहती है और रसपान की प्यास बनी की बनी रह जाती है! कैसा अद्भुत है यह नाम जिसके स्मरण मात्र से नयन-चकोर उस मुख-चंद्र की ओर टकटकी लगाए एकटक निहारते रह जाते हैं! उस चरित्र को अभिनीत करने वाले, उस चरित्र को जीने वाले, लिखने वाले हमारी आत्यंतिक श्रद्धा के सर्वोच्च केंद्रबिंदु बन जाते हैं| उसके सुख-दुःख, हार-जीत, मान-अपमान में हमें अपना सुख-दुःख, हार-जीत, मान-अपमान प्रतीत होने लगता है| उसकी प्रसन्नता में सारा जग हँसता प्रतीत होता है और उसके विषाद में सारा जग रोता| टेलीविजन पर आज के प्रसारण में लव-कुश द्वारा रामायण का सस्वर गायन सुनकर आज मेरे चित्त की ऐसा दशा हुई कि वर्णन नहीं कर सकता| बस इतना कह सकता हूँ कि स्मरण नहीं, इससे पूर्व कब इन नयनों की कोरों से अश्रुओं की ऐसी धार उमगी-उमड़ी थी | लाख प्रयासों के पश्चात भी जिसे परिजनों की दृष्टि से ओझल न रख पाया जाय, भावनाओं के उस तीव्रतम वेग का अनुमान आप सहज ही लगा सकते हैं| और क्या यह केवल मेरे चित्त की अवस्था है अतः जो भी महापुरुष साधु संत हुए सबने भगवान राम के बारे में अवश्य ही उसे ईश्वर का रूप बताया है यहाँ तक की सिख धर्म में भी भगवान राम का कई जिक्र है साई बाबा राम भक्त नहीं थे, वे अल्लाह मालिक जरूर बोलते थे.. और वे एक संत फकीर थे, उन्हें भगवान मानना या भगवान के बराबर उनका नाम लेना बहुत गलत है। साई एक इंसान थे और श्री राम साक्षात भगवान हरि हैं अतः आप भगवान राम की पूजा करें इधर उधर भटकने की जरुरत नहीं है साईं बाबा का कहना है सबका मालिक एक, लेकिन सबका मालिक भगवान राम है जो ईश्वर है और अंतर्यामी है। संजय गोस्वमी, 12 अक्टूबर, 2024