हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणाम में गड़बड़ियों को लेकर कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश और प्रवक्ता पवन खेड़ा ने हरियाणा में चुनाव आयोग द्वारा घोषित परिणामों को अस्वीकार किया था। मतगणना के दौरान और चुनाव परिणाम आने के बाद यह कहा गया था, कि धीमी काउंटिंग और ईवीएम मशीन में की गई गड़बड़ी के कारण कांग्रेस की हार हुई। चुनाव आयोग को तथ्यों के साथ शिकायत करने की बात भी कही गई थी। चुनाव आयोग को जो शिकायत कांग्रेस पार्टी की ओर से की गई थी, उसके बाद चुनाव आयोग द्वारा एक नोटिस कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को दिया गया। उस नोटिस के मिलने के बाद कांग्रेस ने अपना रुख बदल दिया है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में हुई हार को लेकर कांग्रेस की जो उच्च स्तरीय बैठक हुई, इस बैठक में यह निर्णय लिया गया, कि कांग्रेस ईवीएम मशीन और बैटरी पर ठीकरा नहीं फोड़ेगी। कांग्रेस हार के कारणों की तलाश करेगी। जब तक कांग्रेस को चुनाव में गड़बड़ी के पुख्ता सबूत नहीं मिल जाते हैं, तब तक वह ईवीएम मशीन के मुद्दे पर शांत रहेंगे। पिछले कई महीनो से चुनाव आयोग की भूमिका, ईवीएम की मशीन कंट्रोल यूनिट तथा मत पर्चियों की गिनती को लेकर एडीआर से लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकीलों द्वारा कई आंदोलन, प्रदर्शन और न्यायालय में लड़ाई लड़ी है। पहले भी कांग्रेस ने इस मामले में चुप्पी साध ली थी। फार्म 17 सी को लेकर भी चुनाव के पहले कई बार बात हुई। चुनाव आयोग पर मतदान का डाटा पूर्व की तरह उपलब्ध नहीं कराने के आरोप लगाए गए थे। एडीआर ने लोकसभा के चुनाव में 89 सीटों पर हुई गड़बड़ी को लेकर तथ्यों के साथ जो शिकायत चुनाव आयोग में की थी, उसका जवाब चुनाव आयोग ने आज दिनांक तक नहीं दिया है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान भी जो गड़बड़ियां हुई हैं, उसके संबंध में जांच कराने के स्थान पर जिस तरह से चुनाव आयोग के सामने समर्पण करने का रास्ता अख्तियार किया है, उसकी देशभर में बड़ी तीव्र प्रतिक्रिया हो रही है। समर्पण करने के बाद कांग्रेस को बहुत बड़ा नुकसान होना तय माना जा रहा है। चुनाव आयोग, केंद्र सरकार के इशारे पर काम करता है। इसके आरोप कई बार लग चुके हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की शिकायतों को चुनाव आयोग ने कचरे के डिब्बे में डाल दिया था। किसी शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। चुनाव आचार संहिता का खुले रूप से उल्लंघन होता रहा। चुनाव के पश्चात सबूतों के साथ जो शिकायत की गई। उस पर चुनाव आयोग ने चुप्पी साध ली। आरोप है कि चुनाव आयोग शिकायतकर्ताओं को नोटिस भेजकर, डराकर चुनाव में मनमानी कर रहा है। हरियाणा के चुनाव में तीन बार पोर्टल में मतदान का डाटा बदला गया। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर लगभग 14 लाख मतदाता बढ़ा दिए गए। मतगणना के दौरान कई घंटे तक चुनाव आयोग का पोर्टल अपग्रेड नहीं हुआ। जो जानकारी चुनाव आयोग 2014 और 2019 में अपग्रेड कर रहा था, उसे भी चुनाव आयोग ने अपलोड करना बंद कर दिया है। 17 सी की जानकारी चुनाव आयोग द्वारा पोर्टल में नहीं डाली जा रही है। हरियाणा के वर्तमान विधानसभा चुनाव में भाजपा के विरोध की लहर चल रही थी। जनता इस चुनाव को लड़ रही थी। जब इस चुनाव में इतने बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। इस पर कांग्रेस पार्टी का चुप्पी साध लेना, आम जनता और मतदाताओं को निराश करने वाला निर्णय है। आम जनता के मन में राहुल गांधी को लेकर एक नया विश्वास जागृत हुआ है। जनता की लड़ाई राहुल गांधी अच्छे तरीके से लड़ेंगे। इस पर जनता को विश्वास होने लगा है। लोकतंत्र की रीड़ की हड्डी चुनाव आयोग है। जब वही ठीक तरह से काम नहीं करेगा, तो लोकतंत्र किस तरह से सुरक्षित रह पाएगा। कांग्रेस पार्टी वर्तमान स्थिति में लड़ने से पीछे हटेगी, तो ऐसी स्थिति में आम जनता का भरोसा राहुल गांधी और कांग्रेस के ऊपर जो बन रहा था, वह भरोसा टूटने में देर नहीं लगेगी। भाजपा अथवा सरकार के खिलाफ जो भी बोलता था, उस पर मानहानि का मुकदमा लगाकर उनको डराया और धमकाया जा रहा था। ईड़ी और सीबीआई का सहारा लिया जा रहा था। अब चुनाव आयोग भी लगभग उसी राह पर चल पड़ा है। राजनीतिक दलों से विचार विमर्श किए बिना चुनाव आयोग मनमानी कर रहा है। इसके पहले कभी इस तरीके की मनमानी चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली में देखने को नहीं मिली। वर्तमान स्थिति में कांग्रेस का यह कहना, कि वह ईवीएम मशीन और चुनाव आयोग पर हार का ठीकरा नहीं फोड़ेगी। खुद अपने गिरेबान में झांककर अपने आप को सुधारने की कोशिश करेगी। इसका एक ही मतलब है, कांग्रेस ने चुनाव आयोग के सामने अपने हथियार डालकर एक तरह से समर्पण कर दिया है। यह स्थिति कांग्रेस, देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और संविधान को बचाए रखने की दिशा में जो लड़ाई शुरू हुई थी, उस लड़ाई को बहुत बड़ा धक्का लगना तय है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस राष्ट्रीय राजनीतिक दल है। उसका सारे देश में प्रभाव है। कई राज्यों में उसकी सरकार है। यदि वह चुनाव के दौरान हुई गड़बड़ी पर अपनी लड़ाई नहीं लड़ेगी। ऐसी स्थिति पर कांग्रेस के ऊपर कौन विश्वास करेगा। महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव कुछ ही महीनो में होने वाले हैं। ऐसी स्थिति में जनता कांग्रेस या इंडिया गठबंधन को वोट देगी? हरियाणा की तरह जनता ने वोट दे भी दिया और वहां पर भी जनता हार गई। यह संदेश हरियाणा के चुनाव परिणाम से जनता को मिला है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को महाराष्ट्र और झारखंड में भी जीत मिलेगी यह कहना बड़ा मुश्किल है। ईएमएस / 11 अक्टूबर 24