लेख
09-Oct-2024
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हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आ गए हैं। हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की स्पष्ट बहुमत से सरकार बनने जा रही है। हरियाणा के नतीजों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को एक नया बूस्टर डोज दिया है। ह‎रियाणा की यह जीत भारतीय जनता पार्टी संगठन की भगदड़ को रोकने के लिए भी एक बूस्टर डोज का काम करेगी। हरियाणा विधानसभा चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी में भगदड़ की स्थिति देखने को मिली थी। हरियाणा की इस जीत से भाजपा को महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव में एक नई मजबूती ‎मिलना तय है। हरियाणा के विधानसभा चुनाव ने भाजपा को ताकतवर बना दिया है। हरियाणा विधानसभा चुनाव का एक असर यह भी पड़ेगा, राज्यों में और केंद्र में भाजपा के जो सहयोगी दल हैं। उन्हें नियंत्रित करके रख पाने में अब प्रधानमंत्री मोदी सफल होंगे। इसकी एक बानगी दिख गई है, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हरियाणा की जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी है। हरियाणा के चुनाव परिणाम इंडिया गठबंधन के लिए एक सबक के रूप में भी देखे जा रहे हैं। महाराष्ट्र और झारखंड में इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट एनसीपी शरद पवार झारखंड मुक्ति मोर्चा इत्यादि के साथ इंडिया गठबंधन और कांग्रेस को विशेष सतर्कता बरतने का संदेश दे ‎दिया है। लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद माना जा रहा था, कि भारतीय जनता पार्टी बहुत कमजोर हो गई है। मोदी और शाह को लगातार संगठन के अंदर से चुनौतियां मिलना शुरू हो गई थी। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर भी संघ परिवार ने दबाव बना लिया था। हरियाणा विधानसभा की जीत के बाद एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा संगठन में ताकतवर होकर उभरे हैं। सभी जगह यह माना जा रहा था, हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार तय है। लेकिन ह‎रियाणा की हारी हुई बाजी को जीतकर एक बार फिर नरेंद्र मोदी ने अपना जादू भाजपा संगठन और संघ परिवार को बता दिया है। इस जादूई करिश्मा के बाद संघ परिवार के लिए भी बहुत आसान नहीं होगा, कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपेक्षा कर सकें। हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम ने देश में एक नया राजनीतिक ध्रुवीकरण तैयार कर दिया है। चुनाव केवल धर्म और जाति के आधार पर नहीं लड़े जा सकते हैं। हरियाणा जैसे राज्य में जाट और गैर जाट का नारा देकर भाजपा ने एक नई रणनीति तैयार की है। इस नतीजे से कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को सबक लेने की जरूरत है। जीत के 1000 कारण बताए जा सकते हैं। हार के भी 1000 कारण बताये जा सकते हैं। लेकिन जो जीता वही सिकंदर होता है। हरियाणा के विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिकंदर के रूप में सामने आए हैं। उनकी जीत के जो कारण बताए जा रहे हैं। वह सही हैं या नहीं इसको लेकर कोई अंतिम तथ्य स्थापित नहीं किया जा सकता है। हां हरियाणा के विधानसभा चुनाव प‎रिणाम के बाद एक बार फिर चुनाव आयोग, ईवीएम मशीन की बैटरी और चुनाव आयोग की भूमिका एक बार फिर चर्चाओं में आ गई है। भारत का चुनाव आयोग किस तरह से काम कर रहा है। उस पर कैसे विश्वास किया जा सकता है। इसको लेकर पहले भी कई बार आरोप-प्रत्यारोप लग चुके हैं। पहले कोई भी राजनीतिक दल इस मामले में खुलकर सामने नहीं आया था। एडीआर और स्वयंसेवी संगठन ईवीएम मशीन और चुनाव आयोग की भू‎मिका पर आंदोलन-प्रदर्शन कर रहे थे। हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद अब कांग्रेस ने चुनाव आयोग को निशाने पर लिया है। चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। चुनाव आयोग किसी की सुनता नहीं है। चुनाव आयोग में की गई ‎शिकायतों पर आयोग चुप्पी साध लेता है। न्यायपालिका में भी सुनवाई नहीं होती है। ऐसी स्थिति में आगे कुछ होगा, इसको लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। बहरहाल अभी राजनीति के समीकरण वर्तमान सत्ता के पक्ष में हैं। न्यायपालिका और चुनाव आयोग भी सरकार से प्रभावित है। ऐसी स्थिति में यही कहा जा सकता है। समरथ को नहीं दोष गुसाईं। अभी समर्थता सत्ता पक्ष के पास में है। सत्ता के शीर्ष पर बैठे हुए व्यक्ति जो करना चाहते हैं, वह कर पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में किसी चमत्कार अथवा न्याय-अन्याय की आशा करना पूर्णरुप से बेमानी है। एसजे/9 अक्टूबर 2024