नई दिल्ली (ईएमएस)। इंग्लैंड ने 1 अक्टूबर को अपने आखिरी कोयला-आधारित पावर प्लांट को बंद कर दिया, जिससे वह जी7 देशों में कोयले से बिजली उत्पादन को पूरी तरह समाप्त करने वाला पहला देश बन गया। यूके में चार मुख्य क्षेत्र शामिल हैं इंग्लैंड, नॉर्दर्न आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स। यूके ने धीरे-धीरे कोयले के उपयोग को कम करने के लिए गैस-आधारित बिजली उत्पादन और कार्बन उत्सर्जन पर जुर्माने का सहारा लिया। इस सदी की शुरुआत से यूके ने किसी भी नए कोयला-आधारित क्षमता का जोड़ नहीं किया है। इसकी तुलना में चीन ने 2000 के बाद से वैश्विक स्तर पर जोड़ी गई 1,588.5 गीगावाट कोयला-संचालित क्षमता का 69 प्रतिशत हिस्सा अपने नाम किया है। यह आंकड़ा वैश्विक ऊर्जा मॉनिटर के अनुसार सभी देशों में सबसे अधिक है। भारत इस क्षेत्र में दूसरे स्थान पर है, जिसने कुल वैश्विक क्षमता में 12 फीसदी की वृद्धि की है। भारत ने 2000 से अब तक जो कोयला क्षमता जोड़ी है, उसमें से 29 प्रतिशत 2015 के पेरिस समझौते के बाद जोड़ी गई है। हालांकि, चीन ने इस अवधि में भारत की तुलना में पांच गुना अधिक कोयला क्षमता जोड़ी है। जर्मनी ने 1.1 गीगावाट कोयला क्षमता जोड़ी है, जबकि अमेरिका ने 2016 के बाद से कोई नया कोयला पावर प्लांट नहीं बनाया है और उसके शुद्ध जोड़ नकारात्मक रहे हैं। भारत का कोयले से मुक्ति की योजना धीमी गति से चल रही है। अगले 15 वर्षों में भारत केवल 1 गीगावाट से कम कोयला क्षमता कम करने की योजना बना रहा है। यह लक्ष्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं और ब्रिक्स समूह के अन्य देशों की तुलना में काफी कम है। भारत को अपने कोयला उत्पादन में कमी लाने के लिए और अधिक तेज़ी से कार्य करने की आवश्यकता है। सतीश मोरे/07अक्टूबर ---