लेख
20-Sep-2024
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सारी दुनिया के देशों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और संचार व्यवस्था को लेकर एक अज्ञात भय समा गया है। लेबनान में जिस तरह से हजारों पेजरों,इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, वॉयरलैस आधारित वॉकी-टॉकी इत्यादि के माध्यम से सामूहिक विस्फोट किए गए हैं। इन विस्फोटों में हजारों लोगों घायल हुए हैं। सैकड़ो लोग मौत का शिकार हो गए हैं। कई स्थानों पर मोबाइल डिवाइस पर भी इसी तरह के धमाके किए गए हैं। सेना के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में विस्फोट अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों, नर्सों के पेजर और मोबाइल फोन पर भी हुए हैं। जिसके बड़ी संख्या में डॉक्टर नर्स और मरीज घायल हुए हैं। उसके कारण अब लोगों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और संचार माध्यमों के उपयोग को लेकर भय फैल गया है। पिछले तीन दशक में दुनिया के सभी देशों में इंटरनेट का बड़े पैमाने पर विस्तार हुआ है। पिछले दो दशक में ऑनलाइन सेवाओं का जाल बिछाया गया है। कम्युनिकेशन के सभी संसाधन इंटरनेट के माध्यम से आपस में जुड़ गए हैं। टेलीविजन भी अब इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस इंटरनेट के माध्यम से सारी दुनिया में सेवाएं दे रहे हैं। मोबाइल फोन गरीब से गरीब के व्यक्ति के पास उपलब्ध है। घरों में जो टीवी लगी हैं। वह भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण एवं इंटरनेट के माध्यम से कार्यक्रम प्रसारित किया जा रहे हैं। सभी माध्यमों में कुछ ही लोगों का एकाधिकार है। विशेष रूप से सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर तैयार करने वाली संस्थाओं कुछ ही कंपनियों पर एकाधिकार है। इस तकनीकी पर घुसपैठ करने वालों की संख्या भी बड़ी तेजी के साथ बढ़ती जा रही है। हैकिंग सिस्टम के माध्यम से हैकर तकनीकी को ध्वस्त करते हुए कमाई के नए-नए आयाम खोजने में लगे हैं। युद्ध लड़ने के जो नए तरीके अब विकसित हो रहे हैं। वह बहुत विनाशकारी हैं। पहले जो युद्ध हुए हैं, उसमें उतना बड़ा नुकसान नहीं हुआ। जितना बड़ा नुकसान अब सारी दुनिया के देशों को हो सकता है। पहले रासायनिक हथियारों का एक भय था। अब जिस तरह से व्यक्ति को लक्ष्य करके हमले किए जा रहे हैं। उसने सारी दुनिया को हैरानी और परेशानी में डाल दिया है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में विस्फोट की आशंका को देखते हुए, सभी देशों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की विश्वसनीयता और उपयोग को लेकर बड़ा संशय पैदा हो गया है। सारी दुनिया एक ही नेटवर्क से जुड़ी हुई है। सभी संचार माध्यम आपस में जुड़े हुए होने के कारण कम समय में सारी दुनिया के देशों को लक्ष्य किया जा सकता है। यह आशंका अब बलवती होने लगी है। पिछले एक दशक में जिस तरह से इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन नेटवर्किंग से दुनिया की 70 फ़ीसदी से ज्यादा आबादी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण नेटवर्क के माध्यम से जुड़ चुके है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का उपयोग युद्ध मैं हथियार के रूप में किया गया है। उसके कारण लोगों के बीच में यह चर्चा होने लगी है। पेजर तकनीकी जो वायरलेस के माध्यम से एक सीमित क्षेत्र में वन वे कम्युनिकेशन के रूप में काम करती है। यदि वह सुरक्षित नहीं है। ऐसी स्थिति में लोगों की सुरक्षा किस तरह संभव होगी, यह समझना मुश्किल हो गया है। भारत सहित दुनिया के अन्य देशों के संचार माध्यम इंटरनेट से संचालित हो रहे हैं। घरों की टीवी मैं जो प्रसारण आ रहा है। वह भी इंटरनेट के माध्यम से आ रहा है। एंड्राइड तकनीकी के टेलीविजन दुनिया भर के अरबों टेलीविजन और मोबाइल एक ही सिस्टम से संचालित हो रहे हैं। सारे सिस्टम एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। कब इस सिस्टम के अंदर कौन घुसकर क्या करके निकल जाएगा, कहना मुश्किल है। इजराइल ने जिस तरह से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और संचार माध्यमों से घातक तकनीकी विकसित करते हुए इस तकनीकी का इस्तेमाल युद्ध के लिए किया है। इजरायल के अलावा आतंकी संगठनों के पास इलेक्ट्रॉनिक उपकरण तथा युद्ध में काम आने वाले हथियार जिस तरीके से विकसित किए गए हैं। वह पूरी दुनिया की मानव आबादी को कुछ ही क्षणों में तबाह करने की क्षमता रखते हैं। अभी मिसाइल से किसी स्थान पर लक्ष्य पर निशाना साधा जाता था। अब निशाने पर वह हर व्यक्ति आ गया है। जो व्यक्ति मोबाइल ,पेजर ,टेलीविजन एवं उन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग कर रहा है। वह नेटवर्किंग में जुड़े हुए नहीं हैं।उसके बाद भी जिस तरह से हाल ही में इजरायली लडाकूओं ने पेजर और वाकी-टाकी के माध्यम से हिजबुल्लाह के ठिकानों पर हमला किया है। जिनके पास इलेक्ट्रॉनिक उपकरण थे। वह बुरी तरह से घायल हुए, या मारे गए। सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है कि इस हमले में अस्पतालों, नसों और डॉक्टरों को भी निशाना बनाया गया है। इजरायल ने जिस तरह से पेजर और वाकी टाकी में विस्फोटक पदार्थ का उपयोग करते हुए विभिन्न माध्यमों से दुश्मन देश के पास उन उपकरणों की सप्लाई कराई। उसने दुनिया में एक नए अविश्वास को जन्म दिया है। अब किसी भी देश को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को लेकर एक दूसरे के ऊपर वह विश्वास नहीं होगा। सारी दुनिया में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में चीन का बोलबाला है। पिछले दो दशक में दुनिया के प्रत्येक देश के अधिकांश नागरिक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के ऊपर आश्रित होकर रह गए हैं। चीन, अमेरिका, इजरायल जैसे देश इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर को लेकर विशेष तकनीकी दक्षता रखते हैं। विशेष रूप से मोबाइल फोन और टीवी के रूप में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस हर घर में और हर व्यक्ति के द्वारा उपयोग में लाई जा रही है। अभी तक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग जासूसी एवं अन्य जानकारी को एकत्रित करने के लिए किया जाता था। अब एक बड़े विध्वंश के रूप में नया स्वरूप सामने आया है। जिसका मुकाबला कर पाना शायद ही किसी के लिए संभव हो। पहली बार दुनिया की सोच इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग को लेकर, चिंता में बदलना शुरू हो गई है। इजराइल के साथ-साथ इस तरह की तकनीकी अन्य देशों और आतंकी संगठनों के पास भी उपलब्ध है। जो कम या ज्यादा नुकसान करने में सक्षम है। विभिन्न देशों द्वारा यदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से युद्ध लड़ना शुरू कर दिया, तो बहुत बड़े विनाशकारी परिणाम सारी दुनिया में देखने को मिल सकते हैं। पहली बार दुनिया के देशों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और संचार माध्यमों को लेकर चिंता और भय देखने को मिल रहा है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में विस्फोट ने गुप्त तरीके से युद्ध लड़ने का नया रास्ता बनाया है। जिसके कारण भविष्य को लेकर चिंताएं देखने को मिलने लगी हैं। ईएमएस / 20 सितम्बर 24