झारखंड विधानसभा चुनाव में अब महज कुछ दिनों का समय शेष है। वहीं विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड में मिशन 2024 के लिए सभी दलों ने तैयारी तेज कर दी है। भारतीय जनता पाटी। झारखंड के कोल्हान में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए लगातार नए-नए दांव खेल रही है। भाजपा ने जहां बीते दिनों जेएमएम के वरिष्ठ नेता और झारखंड के पूर्व सीएम चंपाई सोरेन को भाजपा में शामिल कराया वहीं उनके शामिल होने के महज कुछ दिनों बाद ही झारखंड के जमशेदपुर में प्रधान नरेंद्र मोदी का बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया।चंपई सोरेन का भाजपा में शामिल होना पार्टी के लिए एक बड़ी सफलता है। उनके बहाने भाजपा झारखंड में प्रभाव बढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने जमशेदपुर से झारखंड चुनावी प्रचार का शंखनाद कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी चुनावी सभा के दौरान चंपाई सोरेन और सीता सोरेन का जिक्र करते हुए कोल्हान और संधाल के आदिवासियों को बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। जमशेदपुर के गोपाल मैदान में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंंत्री नरेन्द्र मोदी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा और हेमंत सरकार पर हमला बोलने के साथ-साथ झारखंड में सरकार बनने के बाद के नजरिये को भी सबके सामने रखने का काम किया। हमलावर अंदाज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल झारखंड का बड़ा दुश्मन करार दिया तो झारखंड का सबसे बड़ा मुद्दा घुसपैठ बताया। साथ ही कहा कि ये तीनों घुसपैठियों के साथ खड़े हैं। संथाल परगना में आदिवासियों की आबादी तेजी से घट रही है। झारखण्ड के शहर हो या गांव रोहिंग्या और बांग्लादेशी लगातार घुसपैठ कर रहे हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस मजहब के नाम पर वोट बैंक बना रहे हैं। यही समय है इस खतरे को रोकना होगा। आदिवासी भावना को उभारते हुए प्रधानमंत्री ने सवालिया लहजे में पूछा— क्या चंपाई सोरेन जी आदिवासी नहीं थें ? क्या वे गरीब परिवार से नहीं आतें? उन्हें किस तरीके से सीएम की कुर्सी से हटाया गया? सीता सोरेन को अपने परिवार ने ही बेदखल किया। इसका जवाब झारखंड का हर आदिवासी देगा। हर माता देंगी। कांग्रेस देश की सबसे भ्रष्ट और बेईमान पार्टी है। झारखण्ड में जमीन की लूट मची हुई है। अब लोग अपनी जमीन पर बोर्ड लगाकर लिखने लगे हैं कि यह जमीन बिकाऊ नहीं है। इस दौरान पीएम मोदी ने झारखंड उत्पाद सिपाही भर्ती में अभ्यर्थियों की मौत पर कहा कि झारखंड में परीक्षाओं के नाम पर उत्पाद सिपाही भर्ती में 15 लोगों की जान चली गई। यह सब सरकार की गलत व्यवस्था के कारण हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जिन लोगों की जिंदगी गई है, उन्हे श्रद्धांजलि दी और यह यकीन दिलाया कि जब कुछ ही महीनों बाद झारखंड में एनडीए की सरकार बनेगी तो पूरे मामले की जांच होगी और हर जिम्मेवार पर कानूनी शिकंजा कसा जाएगा। झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 के दौरान कोल्हान प्रमंडल में भाजपा बुरी तरह पिछड़ गई थी। यहां की 14 सीटों पर पार्टी का खाता तक नहीं खुल पाया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास भी अपनी परंपरागत सीट पर पराजित हो गए थे। इस बार इस प्रमंडल में बढ़त लेने के लिए भाजपा मजबूत किलाबंदी में जुटी हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने झारखंड के टाटानगर में 660 करोड़ रुपये से अधिक की रेलवे परियोजनाओं की आधारशिला रखी और उन्हें राष्ट्र को समर्पित किया। संपर्क बढ़ाने के लिए छह वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई।32,000 प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के लाभार्थियों को स्वीकृति पत्र वितरित किए और 32 करोड़ रुपये की सहायता की पहली किस्त जारी की।46,000 लाभार्थियों के गृह प्रवेश समारोह में भाग लिया। प्रधानमंत्री के बाद अब गृह मंत्री अमित शाह भी 21 सितंबर को झारखंड पहुंचने वाले हैं। छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बाद भाजपा ने झारखंड विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा जैसे अनुभवी राष्ट्रीय नेता रणनीतिक समर्थन दे रहे हैं। झारखंड में होने वाले इस विधानसभा चुनाव में भाजपा की सबसे बड़ी ताकत उनके पाले में राज्य के कई दिग्गज नेताओं का होना है। बाबूलाल मरांडी, अमर बाउरी, अर्जुन मुंडा, बिद्युत बरन महतो, दीपक प्रकाश, मनीष जायसवाल, ढुल्लू महतो जैसे कई दिग्गज और प्रभावशाली नेता चुनावी तैयारी में लगे हैं।भाजपा हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली इंडिया गठबंधन सरकार से सत्ता छीनने की जिम्मेदारी हिमंता बिस्वा सरमा के कंधों पर है। वे ही तय कर रहे हैं कि किन नेताओं को भाजपा में शामिल किया जाए और किन्हें नहीं। चंपाई सोरेन का भाजपा में प्रवेश हो या लोबिन हेम्ब्रम का पार्टी में शामिल होना, इन सभी फैसलों के पीछे हिमंता बिस्वा सरमा का ही हाथ है। यदि भाजपा इस दिशा में सफल होती है तो उसकी एक बड़ी व्यापारिक जीत भी कही जा सकती है। क्योंकि पूंजीपतियों के हितों को साधने में प्राकृतिक संपदा के धनी राज्यों पर सत्ता काबिज करना पहली शर्त है,ताकि मनमाने दोहन में कोई अड़चन न आए। पिछले विधानसभा में भाजपा के हाथों से पिछली बार झारखंड की सत्ता फिसल गई थी। आदिवासी बहुल दूसरे राज्यों की तरह ही झारखंड के चुनावी नतीजे भी इसके राजनीतिक भूगोल पर निर्भर करता है। भौगोलिक तौर पर पांच बड़े इलाकों में बांटे जाने वाले झारखंड का राजनीतिक समीकरण भी बेहद जटिल है। विधानसभा सीटों की संख्या की बहुतायात के आधार पर देखें तो पलामू में 9, कोल्हान में 14, दक्षिण छोटानागपुर में 15, संथाल परगना में 18 और उत्तरी छोटानागपुर में 25 सीट है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनका परिवार संथाल परगना इलाके से आता है और चंपई सोरेन कोल्हान इलाके से आते हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक, कोल्हान इलाके में राज्य की अनुसूचित जनजाति आबादी का दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा (41.96 फीसदी) रहता है। दूसरे इलाके में जनजातियों की आबादी का हिस्सा देखें तो दक्षिण छोटानागपुर में सबसे अधिक 51.1 फीसदी हिस्सा है। झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में जेएमएम और उसके सहयोगियों ने कोल्हान इलाके में 14 विधानसभा सीटों में से 13 जीते थे। चंपई सोरेन पूरी कोल्हान डिवीजन के तीन जिले पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां अकेले प्रभावशाली नेता हैं। कोल्हान इलाके में 1980 के बाद हुए नौ विधानसभा चुनावों में से चार में भाजपा ने आरक्षित सीटों में अधिकतम सीटें जीती हैं। हालांकि, 2019 के चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाले गठबंधन की जीत हासिल का सबसे बड़ा कारण इन्हीं 28 आरक्षित सीटों में 89.3 फीसदी जीत का स्ट्राइक रेट था। राज्य की बाकी 53 सीटों में भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन 23 और 22 सीटों पर जीत के साथ सियासी तौर पर लगभग बराबर पर थे। बाकी आठ सीटों पर दूसरे दलों को जीत मिली थी। इसलिए भाजपा की रणनीति इस बार हर हाल में आरक्षित सीटों पर वापसी की है। ईएमएस/ 20 सितम्बर 24