लेख
20-Sep-2024
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(चुनाव पर विशेष आलेख!) एक राष्ट्र एक चुनाव इस देश के लिये कोई नई पहल नहीं हैए आजादी के बाद 1951-52 से लेकर 1967 तक के लोकसभा विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते रहे लेकिन जब से सत्ता के प्रति राजनीति में मोह ज्यादा पनप गयाए देश में छोटे . छोटे दल ज्यादा पनप गये जिससे आया राम गया राम की कहानी शुरू हो गई। सत्ता के लिये कौन किधर चला जायेगाए कब चला जायेगा किसी को पता नहीं। इस तरह के बदले हालात एवं असुरक्षित माहौल ने देश में लोकतंत्र की तस्वीर ही बदल डाली। विधान सभाए लोकसभा के परिवेश समय से पहले हीं डगमगाने लगे। मघ्यावधि चुनाव की स्थितियां बनने लगी। एक देश एक चुनाव की जगह अब सुरक्षा की दृष्टि से देश में कई चरणों में कई बार लोकसभा एवं विधानसभा के चुनाव होने लगे। जिसने देश पर अनावश्यक खर्च भी बढ़ा दिया। अब फिर से एक राष्ट्र एक चुनाव कराये जाने की संवैधानिक बात सामने आ रही है जिसके तहत इस दिशा में देश के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम श्री रामनाथ कोविद के नेतृत्व में गठित समिति की सिफारिस स्वीकार करते हुए वर्तमान केन्द्र सरकार ने वर्ष 2029 में एक राष्ट्र एक चुनाव कराये जाने की पहल शुरू कर दी है। केन्द्र सरकार की यह पहल देश एवं लोकतंत्र के हित में अवश्य है जहां चुनाव पर होने वाले अनावश्यक खर्च रोका जा सकता। पर देश में बदली राजनीतिक पृष्ठिभूमि जहां लाभतंत्र के साथ-साथ माफिया वर्ग हावी हैए इस तरह के परिवेश को कब तक स्थाईत्व प्रदान कर सकेगाए कुछ कहा नहीं जा सकता। इस पहल पर जहां सत्ता पक्ष सकरात्मक नजर आ रहा है वहीं विपक्ष अपने-अपने तरीके से विरोध जता रहा है। फिर भी इस पहल पर कुछ राजनीतिकए कुछ संवैधानिक अड़चनें अवश्य नजर आ रही हैए जिसका समाधान सभी को मिलकर तलाशना होगा। फिलहाल वर्ष 2025 एवं 2026 में देश के 17 राज्यों के होने वाले विधान सभा चुनाव के कार्यकाल को बढ़ाये जाने की समिति ने सिफारिस की है जहां कुछ राज्यों में केन्द्र की सत्ता पक्ष राजनीतिक दल की सरकार तो कुछ राज्यों में विपक्ष की सरकार सत्ता में है। जो कि टेढ़ी खीर है। जब देश में एक राष्ट्र एक चुनाव के तहत लोकसभा एवं विधानसभा के चुनाव करा लिये जाय तो इस बात की कोई ग्रांटी नहीं कि देश में मध्यावधि चुनाव की स्थिति न बनेए यहीं तर्क विपक्ष की ओर से आ रहा है। एक राष्ट्र एक चुनाव को सफल बनाने के लिये देश में मघ्यावधि चुनाव की स्थिति को टालने के मार्ग तलाशने होगे। इस दिशा में संविधान में एक कानून यह भी परित किया जाना चाहिए जो परिवेश मध्यावधि चुनाव के कारण बनते हैए उसपर अकुंश लगाया जाय। बहुमत के आधार पर सरकार गिराने के वजाय अल्पमत की सरकार चलते रहने का कानून बने जिससे आया राम गया राम की कहानी खत्म हो। लोकसभा एवं विधान सभा परिवेश पर आया राम गया राम प्रभावहीन रहेंगे एवं देश में बहुदलीय की जगह राजनीतिक दलों की संख्या सीमित रहे तो एक राष्ट्र एक चुनाव सफल हो सकता है। ईएमएस/ 19 सितम्बर