राष्ट्रीय
19-Sep-2024


नई दिल्ली (ईएमएस)। एक अध्ययन से पता चला है कि भारत में वायु प्रदूषण से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ रहा है। अध्ययन के मुताबिक परिवेशी कणीय वायु प्रदूषण सबराचोनोइड रक्तस्राव या मस्तिष्क स्ट्रोक - के लिए धूम्रपान के बराबर एक शीर्ष जोखिम कारक है। भारत, अमेरिका, न्यूजीलैंड, ब्राजील और संयुक्त अरब अमीरात के शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम के नेतृत्व में किए गए अध्ययन से पता चला है कि वायु प्रदूषण इस गंभीर स्ट्रोक उपप्रकार के कारण होने वाली मृत्यु और विकलांगता में 14 प्रतिशत का योगदान देता है। न्यूरोलॉजिकल विकारों में स्ट्रोक, सिरदर्द विकार, मिर्गी, सेरेब्रल पाल्सी, अल्जाइमर और अन्य मनोभ्रंश, मस्तिष्क और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र कैंसर, पार्किंसंस रोग, मल्टीपल स्केलेरोसिस, मोटर न्यूरॉन रोग और अन्य न्यूरोलॉजिकल विकार शामिल हैं। भारत के युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक के बढ़ते मामले देखने को मिल रहे हैं। इन मामलों में पिछले पांच वर्षों में 25 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है। सबसे ज्‍यादा मामले 25-40 वर्ष की आयु के लोगों में देखने को मिल रहे हैं। यह मुख्‍य रूप से गतिहीन जीवन शैली, खराब आहार संबंधी आदतें, धूम्रपान और शहरी जीवन से जुड़े उच्च तनाव के कारण होता है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुमान के अनुसार, भारत में कुल बीमारियों में न्यूरोलॉजिकल विकारों का योगदान 10 प्रतिशत है। बढ़ती उम्र की वजह से देश में बीमारों की संख्या बढ़ रही है। सुबोध\१८\०९\२०२४