मेलबर्न (ईएमएस)। हाल ही में प्रकाशित शोध ने इसके सबूत पेश किए हैं कि करीब 46 करोड़ साल पहले पृथ्वी पर शनि की तरह एक रिंग सिस्टम मौजूद था। यह अध्ययन अर्थ एंड प्लैनेटरी साइंस लेटर्स में प्रकाशित हुआ है। इस खोज से यह पता चलता है कि हमारे ग्रह के इतिहास में एक समय ऐसा भी था जब पृथ्वी पर एस्टेरॉयड से बने छल्ले थे, जो संभवतः जलवायु को भी प्रभावित कर सकते थे। शोध के अनुसार, करीब 46.6 करोड़ साल पहले, पृथ्वी पर कई उल्कापिंडों के टकराव के कारण एक रिंग सिस्टम का निर्माण हुआ। तभी पृथ्वी पर कई गड्ढे बने, जिनकी संख्या 21 है। ये गड्ढे भूमध्य रेखा के करीब स्थित पाए गए हैं, जबकि सामान्य परिस्थितियों में उल्कापिंड किसी भी अक्षांश पर टकरा सकते हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि वर्तमान की तलछटी चट्टानों में उल्कापिंडों का मलबा पाया गया, जो दिखाता है कि ये उल्कापिंड कम समय के लिए अंतरिक्ष रेडिएशन के संपर्क में थे। टॉमकिंस और उनकी टीम ने पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों के मॉडल का उपयोग करके यह पता लगाने की कोशिश की कि ये गड्ढे कैसे बने थे और उनकी स्थितियों का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि सभी गड्ढे उन महाद्वीपों पर थे जो इस अवधि में भूमध्य रेखा के करीब थे। इसका मतलब है कि ये गड्ढे एक समान पैटर्न में बने थे, जो संभावित रूप से पृथ्वी पर उस समय के रिंग सिस्टम से संबंधित हो सकते हैं। टॉमकिन्स ने कहा, हमारा मानना है कि एक बड़ा एस्टेरॉयड पृथ्वी के साथ टकराया और टूट गया। इसके मलबे ने कई लाख वर्षों में पृथ्वी पर गड्ढे, तलछट और सुनामी का निर्माण किया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि शनि के अलावा, बृहस्पति, अरुण, और वरुण के पास भी छल्ले हैं और मंगल के छोटे चंद्रमा फोबोस और डेमोस भी एक प्राचीन रिंग सिस्टम के अवशेष हो सकते हैं। आशीष/ईएमएस 19 सितंबर 2024