लेख
18-Sep-2024
...


रुस और यूक्रेन के बीच जारी जंग युद्धबंदियों की अदला-बदली से थमती नजर तो आई है, लेकिन इजरायल और हमास के बीच जारी जंग किसी सूरत खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। दरअसल 07 अक्टूबर 2023 को हमास के द्वारा किए गए इजराइल पर हमले के बाद से यह जंग बराबर जारी है। गाजा पट्टी और उसके आस-पास युद्ध का भयावह मंजर लगातार देखने को मिल रहा है। मानवता को मानों जमींदोज कर युद्ध के तमाम नियमों को ताक पर रख, एक-दूसरे पर हमले किए जा रहे हैं। इन हमलों में कौन मर रहा और कौन हताहत हो रहा, इससे भी किसी को मानों कोई सरोकार नहीं रह गया है। युद्ध की विभीषिका में शांति के कपोत भी मारे जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की अपील के बावजूद कहीं से कोई हमलों की कमी होती नजर नहीं आ रही है। हद तो यह है कि हमले ऐसी जगहों पर भी किए गए, जिन्हें बच्चे, बूढ़ों और महिलाओं के रहने और इलाज के लिए चिंहित किया गया था। इन हमलों में संयुक्त राष्ट्र की टीम के साथ काम करने वाले भी अपनी जान गंवाते नजर आए हैं। गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक इजराइली हमलों में अब तक करीब 42 हजार 957 लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में 80फीसदी फिलस्तीनी नागरिक बताए गए हैं। इस युद्ध में सबसे अधिक फिलस्तीन को नुक्सान उठाना पड़ रहा है। ऐसे अंधे युद्ध की चारों ओर निंदा तो हो रही है, लेकिन इस युद्ध को रोका कैसे जाए और किस तरह से न्याय करते हुए कानून का राज लाया जाए कहना मुश्किल हो रहा है। खासतौर पर तब जबकि इजराइल-हमास युद्ध को विस्तार देने वाली ताकतें लगातार सफल होती जा रही हैं। इस कारण गाजा पट्टी व अन्य आस-पास के इलाकों को भी निशाना बनाया जा रहा है। हमले का तरीका नया है, जिससे इस युद्ध में अन्य देशों के शामिल होने के पुख्ता सुबूत भी मिलने लगे हैं। यहां बताते चलें कि लेबनान और उसके हिजबुल्लाह लड़ाकों पर एक नए तरह से पेजर धमाकों से हमला किया गया है। इसके तहत लेबनान और सीरिया के अनेक शहरों में इस्तेमाल हो रहे हजारों पेजर अचानक धमाकों के साथ फट गए। इसमें एक दर्जन के करीब लोगों की मौत हो गई जबकि हजारों की तादाद में लोग जख्मी हुए हैं। इससे साफ हो गया है कि इजराइल और लेबनान सीमा पर अब हमले और तेज हो जाएंगे। यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि बम की तरह इस्तेमाल किए जाने वाले पेजर बनाने वाली कंपनी को आखिर दुश्मन देश के रणनीतिकारों ने कैसे साध लिया, जो हिजबुल्लाह को धूल चटाने के लिए एक बड़ा हमला करने में कामयाब हो गए। कहा तो यही जा रहा है कि इस हमले के पीछे इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद का हाथ हो सकता है। इसकी पुख्ता वजह भी है, क्योंकि मोसाद पर हमास के हमले के बाद लगातार फेल होने के दाग लगते रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक दुनिया के विशेषज्ञों की मानें तो पेजर एक साधारण रेडियो डिवाइसेस है, जिसे संक्षिप्त संदेश या सिग्नल हासिल करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। रेडियो फ्रिक्वेंसी के जरिए कार्य करने वाले इन पेजरों पर एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल करते हुए रिमोट से उड़ाया जा सकता है। इसी आधार पर पेजर को एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया है। सवाल यह है कि पेजर बनाने वाली कंपनी ने इसे हथियार का रुप दिया या किसी और ने ऐसा करके बड़े हमले को अंजाम दिया, यह देखने वाली बात है। वैसे तो शांतिप्रिय विश्व के लिए यह अपनी तरह की पहली विभत्स घटना मानी जा रही है, लेकिन दावा यह भी है कि इजराइल ने इससे पहले भी कंपनियों के प्रोडक्शन लाइन को प्रभावित करने का काम किया है। दरअसल ईरान को मिसाइल देने वाली कंपनी के मिसाइलों में यूं ही स्टक्सनेट का इस्तेमाल सितंबर 2023 में किया गया था। यह भी सॉफ्टवेयर को प्रभावित करता है और एक बड़ा विस्फोट करने का कारण बनता है। मतलब साफ था कि ईरान मिसाइलें बनाता और जब वह सैन्य डिपो में रखता, तो ये वहीं फट जातीं। तब ईरान ऐसे हमले से खुद को बचाने में कामयाब रहा, लेकिन पेजर मामले में हिजबुल्लाह फंस गया। सेलफोन में आईईडी लगाकर विस्फोट करने के मामले पहले भी हुए हैं, लेकिन पेजर हमला पहली बार हुआ है। इसके दूरगामी परिणामों को देखते हुए ही सबसे पहले पेंटागन ने ऐसे किसी हमले में उसके हाथ होने से साफ इंकार कर दिया है। दरअसल अमेरिका यह बात बहुत अच्छी तरह समझ चुका है कि इस युद्ध की आग अब उसे भी किसी भी पल झुलसा सकती है। इससे पहले कि युद्ध का विस्तार अन्य देशों की शांति को भंग करे, इसे रोकने के पर्याप्त और ईमानदार प्रयास होने ही चाहिए। अंतत: युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। .../ 18 सितम्बर/2024