नई दिल्ली (ईएमएस)। देश के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि अकेले सख्त कानून से महिलाओं के लिए न्यायपूर्ण व्यवस्था नहीं बनाई जा सकती। समाज के पितृ सत्तात्मक रवैये को बदलने के लिए मानसिकता को बदलने की जरूरत है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें संस्थागत और व्यक्तिगत क्षमता को बढ़ावा देना चाहिए। एक कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हमें अपनी मानसिकता को महिलाओं के लिए रियायतें देने से हटकर स्वतंत्रता और समानता के आधार पर जीवन जीने के उनके अधिकार को पहचानने की ओर बढ़ना चाहिए। हमें महिलाओं की स्वतंत्रता और विकल्पों का उल्लंघन करने वाले सुरक्षात्मक कानूनों के खिलाफ उनकी रक्षा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं के अधिकारों के बारे में बात करना महिलाओं की बात नहीं है। जीवन के कुछ महान सबक मैंने अपनी महिला सहकर्मियों से सीखे हैं। मेरा मानना है कि बेहतर समाज के लिए महिलाओं की समान भागीदारी महत्वपूर्ण है। भारत के संविधान को अपनाने से पहले भारतीय महिला जीवन चार्टर का मसौदा हंसा मेहता ने तैयार किया था। वह नारीवादी थीं। सुबोध\१६\०९\२०२४