14-Sep-2024
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इन्दौर (ईएमएस) 15वें जिला न्यायाधीश नरसिंह बघेल की कोर्ट ने इन्दौर के कर्बला मैदान को लेकर एक दीवानी अपील स्वीकार करते हुए निगम के पक्ष में डिक्री पारित करते कोर्ट ने कर्बला मैदान की 6.70 एकड़ जमीन का मालिक वक्फ बोर्ड के बजाय इंदौर नगर निगम को माना है। कोर्ट में नगर निगम की ओर से अधिवक्ता मोहन शर्मा ने पैरवी की। यह दीवानी अपील इन्दौर नगर निगम की ओर से दायर की गई थी जिसमें पंच मुसलमान कर्बला मैदान कमेटी और वक्फ बोर्ड को पक्षकार बनाया गया था। हालांकि इसके पहले व्यवहार न्यायाधीश की कोर्ट ने 13 मई 2019 को नगर निगम द्वारा उक्त विषय में दायर वाद को निरस्त कर दिया गया था उसके खिलाफ ही निगम ने यह अपील की थी। अपनी अपील में नगर निगम ने कोर्ट के समक्ष यह प्रमाणित किया कि वादग्रस्त भूमि वादी नगर पालिक निगम इंदौर में वेष्टित भूमि होने से वादग्रस्त भूमि का स्वामी एवं आधिपत्यधारी है। जबकि प्रतिवादीगण वादग्रस्त भूमि पर अवैध रूप से दीवार बनाकर अतिक्रमण करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में वादी/अपीलार्थी के पक्ष में स्वत्व घोषणा की डिक्री पारित किया जाना उचित होगा। वहीं प्रतिवादी गुणों ने कोर्ट के समक्ष यह तो प्रमाणित कर दिया कि मोहर्रम के अवसर पर मुस्लिम समुदाय के लोग विगत 150 वर्षों से वादग्रस्त संपत्ति के भाग पर ताजिए ठंडे करने का धार्मिक कार्य करते चले आ रहे हैं, लेकिन यह प्रमाणित नहीं कर पाएं कि वादग्रस्त संपत्ति वक्फ संपत्ति है। हालांकि इसके पहले निचली अदालत ने उक्त संपत्ति को वक्फ की भूमि मान लिया था। इस पर अपीलीय अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि विद्वान विचारण न्यायालय ने वादग्रस्त भूमि वादी के स्वामित्व की तथा अवधि बाह्य न मानकर वक्फ संपत्ति मानकर विधिक एवं तथ्यात्मक भूल की है। अतः विद्वान विचारण न्यायालय द्वारा पारित निर्णय एवं डिक्री दिनांक 13.05.2019 को पलटते हुए वादी की अपील स्वीकार की जाती है और वादी के पक्ष में डिक्री पारित कर यह घोषित किया जाता है कि वादग्रस्त भूमि का स्वामी इंदौर नगर निगम है। जिला न्यायालय में नगर निगम की और से दावा करते कि इस जमीन का मालिक वह है यह तर्क दिया गया था कि इस जमीन से लगी सरस्वती नदी के पास के मात्र 0.02 एकड़ भूमि तजिए ठंडे करने के उपयोग में आती है। प्रतिवादी इस जमीन पर अतिक्रमण करने का प्रयास कर रहे हैं। जबकि प्रतिवादीगण ने तर्क दिया कि 150 साल पहले इंदौर के श्रीमंत राजा ने वादग्रस्त स्थान को मुस्लिम समाज को मोहर्रम त्योहार और ताजिए ठंडे करने के लिए दिया था। वहीं 29 जनवरी 84 को वक्फ संपत्ति के रूप में इसका रजिस्ट्रेशन भी हो चुका था। ऐसे में नगर निगम को वादग्रस्त जमीन पर कार्रवाई का अधिकार समाप्त हो चुका है। {{प्रतिवादीगणों का दावा कि इंदौर के श्रीमंत राजा ने वादग्रस्त स्थान को मुस्लिम समाज को मोहर्रम त्योहार और ताजिए ठंडे करने के लिए दिया था। वे 150 वर्षों से वादग्रस्त संपत्ति के भाग पर ताजिए ठंडे करने का धार्मिक कार्य करते चले आ रहे हैं। नगर निगम का तर्क सरस्वती नदी के पास की मात्र 0.02 एकड़ भूमि ताज़िए ठंडे करने के उपयोग में आती है। प्रतिवादी बाकी जमीन पर अतिक्रमण करने का प्रयास कर रहे हैं।}} आनन्द पुरोहित/ 14 सितम्बर 2024