राज्य
12-Sep-2024


इन्दौर (ईएमएस) मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने मेडिकल की सीटें खाली छोड़ने को लेकर याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनके तर्क सुनने के बाद मप्र सरकार को फटकार लगा चेतावनी देते हुए कहा है कि 20 सितंबर से पहले इन खाली सीटों पर जवाब पेश कर दिया जाए। वरना 20 सितंबर को हेल्थ कमिश्नर, भोपाल को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में आकर स्पष्टीकरण देना होगा। हाईकोर्ट ने निर्देश दिए कि यदि 20 सितंबर 2024 से पहले जवाब दाखिल नहीं किया गया तो आयुक्त स्वास्थ्य एवं लोक कल्याण भोपाल 20 सितंबर 2024 स्पष्टीकरण देने के लिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होंगे। याचिका के मुख्य मुद्दे में जानकारी देते बताया गया था कि मप्र में सीपीएस (सर्जन एंड फिजीशियन) पाठ्यक्रम में 2022-24 सत्र के लिए मॉप अप राउंड हुआ था। इसके बाद कुल 92 सीटों में से 32 सीटें खाली रह गईं। बावजूद खाली रह गई इन सीटों के लिए कोई जानकारी ना सार्वजनिक रूप से प्रकाशित की गई, न ही इससे जुड़े छात्रों को बताया गया। कई छात्र सीटें खाली मिलने पर अपग्रेड कर इन सीटों पर प्रवेश ले सकते थे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। जिसके चलते उज्जैन की याचिकाकर्ता डॉ. योग्यता मारोठी ने इंदौर हाईकोर्ट में एडवोकेट आदित्य संधी के मार्फत याचिका दायर कर कहा कि वह एक बेहतर सीट पर अपग्रेड करना चाहती थीं, लेकिन कोई जानकारी नहीं दी गई। जब उन्होंने आरटीआई आवेदन दायर किया तो उन्हें सूचित किया गया कि कुल 92 में से 32 सीटें खाली हैं। एड्वोकेट आदित्य संधी ने याचिकाकर्ता की ओर से हाइकोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि यह मप्र राज्य के लिए बहुत बड़ी क्षति है कि 32 सीटों को खाली रहने दिया गया और जो छात्र अपग्रेड करना चाहते थे उन्हें न तो सूचित किया गया और न ही इसे वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया। संधी ने हाइकोर्ट को कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने नवीनतम फैसले में कहा है कि किसी भी कीमत पर कोई भी मेडिकल सीट खाली नहीं रहनी चाहिए क्योंकि यह एक राष्ट्रीय बर्बादी है और डॉक्टरों की कमी के कारण जनता को परेशानी होती है। एडवोकेट संधी के तर्क सुनने के बाद हाईकोर्ट ने आयुक्त स्वास्थ्य एवं लोक कल्याण भोपाल को निर्देश दिए कि यदि 20 सितंबर 2024 से पहले जवाब दाखिल नहीं किया गया तो 20 सितंबर 2024 को स्पष्टीकरण देने के लिए वे व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होंगे। आनन्द पुरोहित/ 12 सितम्बर 2024