ज़रा हटके
10-Sep-2024
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बीजिंग(ईएमएस)। चीन ने चंद्रमा की क्रत्रिम मिट्टी से एक ईंट तैयार की है। इस ईंट को तीन साल के लिए चांद पर छोड़ा जाएगा। परीक्षणों पर ईंट खरी उतरती है तो घर बनाने की शुरुआत की जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार, वुहान स्थित हुआझोंग विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के साइंटिस्‍ट डिंग लियुन और उनकी टीम वर्षों से इन ईंटों पर काम कर रही थी। डिंग ने बताया क‍ि इन ईंटों को अगले महीने तियानझोउ-8 कार्गो स्‍पेसक्रॉफ्ट से तियानगोंग स्‍पेस स्‍टेशन भेजा जाएगा। हम तीन साल तक इन ईंटों पर नजर रखेंगे और देखेंगे क‍ि इन पर रेड‍िएशन और टेंपरेचर का क‍ितना असर होता है। क्‍या ये ईंटें खराब होती हैं या नहीं। चांद जैसा वातावरण बनाने के ल‍िए वैज्ञान‍िकों ने मिट्टी को ग्रेफाइट के सांचे में ढाला। फ‍िर इन्‍हें पकाने के ल‍िए वैक्‍यूम हॉट प्रेस भट्ठी में रखा। इससे ये ईंटें पत्‍थरों से भी ज्‍यादा कठोर हो गई हैं। चीन 2035 तक चंद्रमा के दक्ष‍िणी ध्रुव पर एक रिसर्च सेंटर बनाना चाहता है, इसे इंटरनेशनल लूनर रिसर्च स्‍टेशन नाम दिया जाएगा। अप्रैल तक 10 से ज्‍यादा देश चीन के इस मुह‍िम में शामिल हो चुके हैं। डिंग के मुताबिक, यह अंडे के आकार का होगा। इसे रोबोट की मदद से चांद की मिट्टी का इस्‍तेमाल कर वहां घर बनाया जाए। दूसरा विकल्‍प ये है क‍ि रोबोट वहां की ईंटें इकट्ठा करे, उसे पारंपर‍िक तरीके से पकाए। हमें उम्मीद है कि रियल चंद्र मिट्टी से बनी पहली ईंट 2028 में बनाई जाएगी। डिंग ने एक लाइव शो में कहा, हम धरती पर ईंटों को 100 मेगापास्कल की ताकत तक पका सकते हैं, जो कंक्रीट से कहीं अधिक कठोर है। लेकिन क्‍या ये ईंटें चांद जैसे कठोर वातावरण का सामना कर पाएंगी, ये हमें देखना होगा। हमने हूबहू चांद की मिट्टी की तरह धरती पर एक मिट्टी तैयार की है। उनसे इन ईंटों का निर्माण क‍िया गया है। आमतौर पर धरती पर पाए जाने वाले ईंट की ताकत 10 से 20 मेगापास्कल के बीच होती है, लेकिन हमने जो ईंटें तैयार की हैं, वो 50 मेगापास्‍कल से भी ज्‍यादा ताकत रखती हैं। वीरेन्द्र विश्वकर्मा/ईएमएस 10 सितंबर 2024