-ताजा शोध की रिपोर्ट में हुआ यह खुलासा नई दिल्ली (ईएमएस)। कई बार ज्यादा अकेलेपन की भावनाएं भी टाइप-2 डायबिटीज का कारण बन जाती हैं। ताजा शोध के मुताबिक रिसर्च में अकेलेपन और टी2डी के विकास के जोखिम के बीच संबंध के साथ साथ यह भी परखने की कोशिश की गई क्या इसे बढ़ाने में अवसाद यानि डिप्रेशन और अनिद्रा भी अपनी भूमिका निभाते हैं? बदलते जीवन परिवेश ने मानव जीवन में बढ़ते तनाव की वजह से टाइप 2 डाइबिटीज के विकास विकास की ओर इशारा किया है। अकेलापन मनुष्य की एक ऐसी बीमारी है जो कि कभी कभी लंबे समय तक चल सकती है और इसकी वजह से कई अन्य बीमारियों का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। अकेले रहने से शरीर की तनाव प्रक्रिया एक्टिव हो जाती है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह अकेलापन की वजह से टाइप- 2 मधुमेह के विकास में एक अहम भूमिका निभाता है। रिसर्च में यह बात भी सामने आई कि अकेलेपन की वजह से खाने के व्यवहार में भी बदलाव आता है। लोगों में ज्यादा मात्रा में कार्बोहाइड्रेट का सेवन किया जाता है और इससे ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है। पहले हुए एक रिसर्च में पाया गया था कि अकेलेपन की वजह से शर्करा युक्त पेय पदार्थों का सेवन बढ़ जाता है जिससे डायबिटीज का खतरा भी बढ़ने का खतरा बना रहता है। अकेलेपन का हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है इसका अनुमान एचयूएनटी-2 डेटा सर्वेक्षण से लगाया गया। इसे जानने के लिए कुल चार पैमाने तय किए गए थे। सर्वेक्षण में देखा गया कि क्या किसी ने 2 सप्ताह में अकेलापन महसूस किया और अगर किया तो उसका लेवल कितना था और इसका असर क्या हुआ। डिप्रेशन के लक्षणों की गंभीरता का आकलन करने के लिए प्रश्नावली का उपयोग करके किया गया था जिसमें 7 प्रश्न शामिल थे, प्रत्येक ने कुल 0-21 अंकों के लिए 0-3 के पैमाने पर स्कोर किया, जिसमें उच्च अंक अधिक गंभीर लक्षणों का संकेत देते थे। अकेलेपन से अनिद्रा आने वाले व्यवक्तियों की जांच उनके सवालों के जवाबों के आधार पर की गई। रिसर्च के 24,024 लोगों में से 1,179 लोगों ने रिसर्च के दौरान टाइप -2 डायबिटीज के विकसित होने के संकेत दिए, हालांकि इस परिक्षण में पुरुषों की संख्या अधिक थी और बिना टाइप-2 डायबिटीज के तुलना में उनकी उम्र भी अधिक थी और उनके विवाहित होने की भी संभावना अधिक थी। रिसर्च के मुताबिक उन लोगों में इसका खतरा अधिक बढ़ता जो ज्यादा अकेलापन महसूस करते बजाय उनके कि जो खुद को कम अकेला महसूस करें। शोधकर्ताओं ने पाया कि मनुष्य के अकेलेपन पर सामाजिक व्यवहार और लोगों के जुड़ाव का भी असर पड़ता है। कम सामाजिक संबंध और सकारात्मक प्रभावों की कमी अकेले लोगों के व्यवहार को और अधिक संवेदनशील बना सकती है। बता दें कि डायबिटीज मौजूदा समय में एक सामान्य बीमारी हो गई है। डायबिटीज कई वजहों से हो सकती है। कई बार यह हमारे जीवनशैली और खानपान में गड़बड़ी की वजह से भी हो जाती है तो कई बार हम इस बीमारी से आनुवांशिकतौर पर भी ग्रसित हो जाते हैं। सुदामा/ईएमएस 06 सितंबर 2024