ज़रा हटके
23-Aug-2024
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बीजिंग (ईएमएस)। ज्यादातर जगहों पर महिलाएं बच्चों के पालन-पोषण के लिए अपनी नौकरी छोड़ देती हैं। इसकी वजह ये है कि बच्चों को देखने वाला कोई नहीं मिल पाता और उनकी परवरिश पर असर पड़ता है। बडे शहरों में वर्किंग पैरेंट्स की बड़ी समस्या का हल प्रोफेशनल नैनी या डेकेयर होते हैं। जब वे दफ्तर में होते हैं, तो बच्चे को यहीं छोड़कर जाते हैं। हालांकि दिक्कत ये है कि यहां बच्चे की देखभाल तो होती है, लेकिन माता-पिता वाला इमोशनल सपोर्ट नहीं मिलता। ऐसे में अब खुद माता-पिता प्रोफेशनल पैरेंट ढूंढ रहे हैं, जो बच्चों को हर वो काम करें, जो खुद माता-पिता को करना होता है। चीन में इस वक्त एक अलग ही चलन है। एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां पर अमीर माता-पिता अपने ही बच्चों को खुद नहीं पाल पा रहे हैं। वे चाहते हैं कि कोई ऐसा शख्स उनके बच्चे पाले, जो उन्हें बिल्कुल मां-बाप जैसा ही प्यार-दुलार दे। उन्हें ट्यूशन ले जाए, ज़रूरत पड़े तो डॉक्टर के पास ले जाए, उनके साथ खेले, एक्टिविटीज़ करे और उनकी भावनात्मक ज़रूरतों का भी ख्याल रखे। इस नौकरी को चाइल्ड कंपेनियन की नौकरी कहा जा रहा है, जिसके ज़रिये पढ़े-लिखे युवा आराम से डेढ़ से तीन लाख तक की रकम महीना कमा रहे हैं। बस ज़रूरत है तो अच्छी एजुकेशन और बच्चों की मानसिक स्थिति ध्यान में रखने की।वैसे ये काम नैनी भी कर सकती है, लेकिन अमीर मां-बाप को अपने बच्चों की ज़िंदगी में खुद का ही रिप्लेसमेंट चाहिए। वे इसके लिए हावर्ड, केम्ब्रिज, सिंघुआ और पेकिंग यूनिवर्सिटी से पढ़े-लिखे चाइल्ड कंपेनियन चाहते हैं, जो बच्चों को तौर-तरीके भी सिखाएं और उन्हें अच्छी एजुकेशन भी दे सकें। ये सर्विस चीन में घंटों, दिनों और लिव इन भी मिल रही है, जिसके अलग-अलग रेट फिक्स हैं। सुदामा/ईएमएस 24 अगस्त 2024