-वैज्ञानिकों ने कहा-‘कयामत’ के लिए शुरू करनी चाहिए तैयारी! न्यूयार्क (ईएमएस)। धरती पर आने वाले प्रलय से बचने के लिए वैज्ञानिकों का प्रस्ताव है कि हमें किसी विशाल नाव या जहाज बनाने के साथ ही सब कुछ चांद पर पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए। वैज्ञानिकों का कहना है कि वैश्विक तबाही की स्थिति में जमे हुए लुप्तप्राय जानवरों का एक लूनार आर्क’ बनाया जाना चाहिए। जैसा कि कुछ धर्म ग्रंथों में “नूह के आर्क” का जिक्र है। इस तरह के विचार को इसलिए भी बल मिल रहा है क्योंकि परमाणु युद्ध से लेकर जलवायु परिवर्तन और घातक महामारी तक, पृथ्वी पर मानवता के अस्तित्व को खतरे में डालने वाली संभावित आपदाओं की कोई कमी नहीं है। यह समझते हुए कि पृथ्वी की जैव विविधता कई तरह के अस्तित्व संबंधी खतरों के प्रति संवेदनशील है, अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज के वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक लेख में चंद्रमा पर नूह के आर्क-प्रकार के मिशन की स्थापना का विचार रखा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विशेषज्ञों की टीम ने सुझाव दिया कि जानवरों के ऊतकों के जमे हुए नमूनों को नष्ट होने से बचाने के लिए अंतरिक्ष में भेजा जाना चाहिए और फिर उन्हें पृथ्वी पर वापस भेजा जा सकता है ताकि नया जीवन लाया जा सके। प्रस्ताव में सुझाव दिया गया था कि चंद्रमा की सतह पर एक बायोरिपोजिटरी उन नमूनों को सहेजेगी जो “अंतरिक्ष उड़ान के दौरान, किसी अन्य ग्रह पर या पृथ्वी पर इंसानों के लायक एक इकोसिस्टम फिर से बनाने के लिए जरूरी होंगे।” चन्द्रमा को एक आदर्श स्थान माना जाता था, क्योंकि इसमें वायुमंडल की कमी थी और इसलिए जलवायु परिवर्तन का कोई खतरा नहीं था। चंद्र आर्क बायोरिपोजिटरी के विचार पर आधारित है जो पहले से ही जीवन की आवश्यक चीजों की सुरक्षा कर रहे हैं। मालूम हो कि दुनिया के कई धर्मों में यह कहानी है कि प्रलय से बचने के लिए पहले ईश्वर ने एक राजा को बहुत ही बड़ी नाव बनाने और उसमें दुनिया के सभी जीवों को कहा था और कई महीनों के बाद दुनिया में जीवन बहाल हो सका था। आज भी साइंटिस्ट ऐसे हालात के बचने के लिए इसी तरह की तैयारी और संरक्षण पर जोर देते रहते हैं। यहां तक कि कई प्रजातियों के संरक्षण की तैयारी भी होने लगी है। पर इस बार साइंटिस्ट एक कदम आगे निकल गए हैं। सुदामा/ईएमएस 04 अगस्त 2024