नई दिल्ली (ईएमएस)। देश में वैश्विक निवेशकों को ओर अधिक आकर्षित करने रणनीतिक सुधारों की जरूरत है, क्योंकि प्रचुर संभावनाएं होने के बावजूद एफडीआई आंकड़े यह बताते हैं कि देश ने अपने अवसरों का पूरी तरह से लाभ नहीं लिया है। आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने गुरुवार को यह बात कही। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने चार-चरणीय योजना का सुझाव दिया और कहा कि भारत को विदेशी निवेशकों के लिए एक अग्रणी विकल्प के रूप में स्थापित करने में मदद करने वाले उपायों में देश में स्थानांतरित होने वाली कंपनियों के लिए लागत संबंधी नुकसान को कम करना, समूचे कारोबारी चक्र में व्यापार सुगमता में सुधार करना और निवेश प्रस्तावों के मूल्यांकन के लिए एक रूपरेखा स्थापित करना शामिल है। भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में 44.4 अरब अमरीकी डॉलर का एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) आकर्षित किया, जो उसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का केवल 1.1 प्रतिशत है। आर्थिक शोध संस्थान ने कहा कि विश्व विकास रिपोर्ट 2023 में उल्लेख है कि देश चीन (189.1 अरब अमरीकी डॉलर), ब्राजील (86.1 अरब अमरीकी डॉलर), ऑस्ट्रेलिया (61.6 अरब अमरीकी डॉलर) और कनाडा (52.6 अरब अमरीकी डॉलर) जैसे देशों से काफी पीछे है। जीटीआरआई ने सुझाव दिया गया कि भारत को चीन से स्थानांतरित होने वाले या वैकल्पिक उत्पादन स्थानों पर विचार करने वाले व्यवसायों को आकर्षित करने के लिए अधिक प्रतिस्पर्धी लागत संरचना की पेशकश करनी चाहिए। इसके लिए भारत को चार लागत-संबंधी घटकों श्रम, दर सामग्री, ऊर्जा और वित्तीय लागत पर ध्यान देने की जरूरत है। सतीश मोरे/01अगस्त ---