लेख
27-Jul-2024
...


भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानि आईआईटी रुड़की में दीक्षांत समारोह की तैयारियां पूरी हो चुकी है।27 जुलाई को हो रहे आईआईटी रुड़की के 24वें दीक्षांत समारोह में नैसकॉम की अध्यक्ष देबजानी घोष मुख्य अतिथि होंगी,जिनकी मौजूदगी में छात्र छात्राएं भारतीय परिधान में उपाधि देंकर दीक्षित किए जा रहे है।जबकि अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष डॉ. बीआर मोहन रेड्डी कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे है। इस बार के दीक्षांत समारोह में 2513 छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान की जा रही है। आईआईटी रुड़की के डायरेक्टर केके पंत के शब्दों में, यह दीक्षांत समारोह आईआईटी के छात्रों की कड़ी मेहनत और समर्पण का एक उत्सव है, इस बार के दीक्षांत समारोह की मुख्य अतिथि देबजानी घोष है,जो नैसकॉम की अध्यक्ष हैं। वे प्रौद्योगिकी उद्योग क्षेत्र की एक अनुभवी व तीन दशक के इतिहास में शीर्ष पर पहुंचने वाली प्रथम महिला हैं।सुश्री घोष ने जीवन और आजीविका को बेहतर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी की शक्ति में दृढ़ता के साथ विश्वास किया हैं, और इसका उपयोग समाज की भलाई के लिए किया हैं। वह उभरती प्रौद्योगिकियों, जैसे कि एआई, द्वारा प्रस्तुत अवसरों और 2047 तक विकसित भारत के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए भारत की विकास क्षमता को तेज करने में अपनी भूमिका को लेकर मुखर हैं। उनके नेतृत्व में, नैसकॉम ने समावेशी विकास और विकास के लिए विभिन्न क्षेत्रों में एआई के जिम्मेदार विकास और अपनाने में तेजी लाने की आवश्यकता को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया है।इस समारोह की मुख्य अतिथि नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज (नैसकॉम) की अध्यक्ष देबजानी घोष जो कि प्रौद्योगिकी उद्योग की अनुभवी हैं और 30 वर्षों के इतिहास में नैसकॉम का नेतृत्व करने वाली पहली महिला हैं। घोष आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों द्वारा प्रस्तुत अवसरों की मुख्य समर्थक हैं।जिनका प्रौद्योगिकी क्षेत्र में बड़ा योगदान है।जिन 2513 छात्र-छात्राओं को उपाधि दी जा रही है, उनमें 1277 स्नातक छात्र, 794 स्नातकोत्तर और 442 पीएचडी के छात्र शामिल है। इस संस्थान ने 1847 से देश को तकनीकी ,मानव संसाधन और देश को गौरव प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।सन 1847 में ‘थामसन कालेज आफ सिविल इंजीनियरिंग’ के रूप में स्थापित आईआईटी रुड़की ने, देश को आजादी मिलने के बाद सन 1948 में रुड़की विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता प्राप्त की थी।9 नवंबर सन 2000 को उत्तराखंड राज्य बनने के बाद 2001 में रुड़की विश्वविद्यालय को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) में परिवर्तित कर दिया गया। ब्रिटिश हुकूमत के दौरान हरिद्वार से कानपुर तक निकलने वाली उत्तरी गंग नहर का निर्माण जब शुरू हुआ तो तब इंजीनियरों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए लेफ्टिनेंट गवर्नर जेम्स थामसन ने रुड़की इंजीनियरिंग कालेज की स्थापना की थी ताकि गंग नहर के निर्माण में इंजीनियरों और सर्वेक्षकों की आपूर्ति की जा सके। अपनी स्थापना से लेकर आज तक 176 वर्षों में इस संस्थान ने देश को तकनीकी मानव संसाधन और राष्ट्रीय गौरव देने में अहम भूमिका निभाई है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की देश के आइआइटी संस्थानों में पांचवें स्थान पर आता है। वहीं यह संस्थान ‘क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2024’ में 369वें स्थान पर है।यह संस्थान सन 1847 में ‘थामसन कालेज आफ सिविल इंजीनियरिंग’ के तौर पर स्थापित हुआ था। देश को आजादी मिलने के बाद इस कालेज को 1948 में रुड़की विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था।9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य बनने के बाद 2001 में इसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) में तब्दील कर दिया गया। ब्रिटिश हुकूमत के दौरान हरिद्वार से कानपुर तक निकलने वाली उत्तरी गंग नहर का निर्माण जब शुरू हुआ तो तब लेफ्टिनेंट गवर्नर जेम्स थामसन ने कालेज की स्थापना की थी ताकि गंग नहर के निर्माण में इंजीनियरों और सर्वेक्षकों की मदद की जा सके। अपनी स्थापना से लेकर आज तक 175 वर्षों में इस संस्थान ने देश को तकनीकी मानव संसाधन और जानकारी देने में अहम भूमिका निभाई है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की देश के आइआइटी संस्थानों में पांचवें स्थान पर आता है। वहीं यह संस्थान ‘क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2024’ में 369वें स्थान पर है।24 से अधिक संकायों का संचालन कर रहे इस संस्थान की जब स्थापना की गई थी तब इसमें केवल सिविल इंजीनियरिंग से जुड़े गिने-चुने संकाय ही थे और आज यह संस्थान 24 से ज्यादा संकायों का संचालन कर रहा है। इनमें प्रमुख रूप से अनुप्रयुक्त विज्ञान एवं अभियांत्रिकी, जैव विज्ञान एवं जैव अभियांत्रिकी,डिजाइन विभाग,जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन,बी आर्क, नैनो प्रौद्योगिकी, आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन,परिवहन प्रणालियां, विद्युत अभियंत्रण, इलेक्ट्रानिक्स एवं संचार अभियांत्रिकी, मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान, रासायनिक अभियांत्रिकी, रसायनिकी विभाग, कंप्यूटर साइंस एवं अभियांत्रिकी , भूकम्प अभियांत्रिकी, कागज प्रौद्योगिकी, पालिमर एवं प्रोसेस अभियांत्रिकी भौतिकी विभाग, जल विज्ञान विभाग, जल एवं नवीकरणीय ऊर्जा,प्रबंधन विभाग, गणित विभाग,यान्त्रिकी एवं औद्योगिक अभियांत्रिकी आदि शामिल हैं।निदेशक प्रोफेसर केके पंत ने छात्रों से कहा कि संस्थान में छात्रों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, चिकित्सा एवं गणित सभी क्षेत्रों में समान अवसर दिए जा रहे हैं। एनआइआरएफ रैंकिंग-2023 में आइआइटी रुड़की को भारत में वास्तुकला एवं नियोजन के शीर्ष संस्थानों के रूप में स्थान मिला है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 के कार्यान्वयन में भी संस्थान सबसे आगे है। ब्रिटिश हुकूमत के दौरान हरिद्वार से कानपुर तक निकलने वाली उत्तरी गंग नहर का निर्माण जब शुरू हुआ तो तब लेफ्टिनेंट गवर्नर जेम्स थामसन ने कालेज की स्थापना की थी ताकि गंग नहर के निर्माण में इंजीनियरों और सर्वेक्षकों की मदद की जा सके। अपनी स्थापना से लेकर आज तक 175 वर्षों में इस संस्थान ने देश को तकनीकी मानव संसाधन और जानकारी देने में अहम भूमिका निभाई है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की देश के आइआइटी संस्थानों में पांचवें स्थान पर आता है। वहीं यह संस्थान ‘क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2024’ में 369वें स्थान पर है।आईआईटी रुड़की में हाल ही में एनईपी-2020 के अनुरूप अपने स्रातक पाठ्यक्रम को संशोधित किया है। इसका उद्देश्य छात्रों की वैश्विक आकांक्षाओं के साथ तालमेल बनाए रखना है। साथ ही यह संस्थान अंतरिक्ष और रक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाना है। सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के साथ भी आईआईटी एक परियोजना पर कार्य कर रहा है। उद्योगों की जो समस्या है उसका निराकरण कैसे किया जाए, उस पर कार्य चल रहा है। जल की बर्बादी को रोकने के लिए संस्थान व्यापक स्तर पर कार्य कर रहा है। अभियांत्रिकी को जनहित के कार्यों में प्रयोग करने का एक अद्भुत और अनोखा प्रयोग संस्थान में हो रहा है। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर पंत का कहना है कि हम अपने संस्थान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 369 वीं रैंकिंग से 250 वीं रैंकिंग पर लाने के लिए प्रयासरत हैं। (लेखक आध्यात्मिक चिंतक व वरिष्ठ पत्रकार है) ईएमएस / 27 जुलाई 24