राज्य
26-Jul-2024
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:: कैप्टन सिंह आज भी देश के लिए सेना में रूची रखने वाले युवाओं को प्रशिक्षण व मार्गदर्शन दे रहे हैं :: इन्दौर (ईएमएस)। गीता रामेश्वरम ट्रस्ट एवं विद्यासागर स्कूल द्वारा कारगिल युद्ध के 25वें विजय दिवस के अवसर पर सेवानिवृत कैप्टन सुरेन्द्र सिंह का सार्वजनिक अभिनंदन किया गया। कैप्टन सुरेन्द्र सिंह ने 5 कि.मी. के दायरे मे एन.सी.सी.एवं स्काउट कैडेट्स के साथ बिचौली मर्दाना स्थित साई मंदिर परिसर मे नीम, आम, जामुन, मोरसली शीशम एवं अन्य प्रकार के पौधे रोपे। जानकारी देते हुए समाजसेवी मदन परमालिया ने बताया कि समारोह में अ.भा. काग्रेंस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव एवं पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल, प्राचार्य श्रीमती भावना पुजारी, मुकुल गोलवलकर, प्रतीष राजू, देवेन्द्र दुबे, निखील सिंह, स्वाती बोरकर, विश्वास भावे, नरेन्द्र पांचाल, पुजा जांगीड़, मनोज पाटीदार आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर सत्यनारायण पटेल ने अपने सम्बोधन में कहा कि सेवानीवृत्त कैप्टन सुरेन्द्र सिंह वो जांबाज सिपाही है, जो भारत देश के लिए अपनी जान की बाजी लगाकर पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए। युद्ध की उन घटनाओं को याद करते हुए इन्दौर में रहने वाले सेना के रिटायर्ड कैप्टन सुरेंद्र सिंह का लहू आज भी देशभक्ति के लिए उबाल मारता है। ऐसे वीर सपूत को आज सम्मानित करते हुए हमें गर्व हो रहा है। कैप्टन सुरेन्द्र सिंह ने कारगिल युद्ध का आँखो देखा हाल सुनाते हुए कहा कि वह मंजर आज तक नहीं भूल पाता हूं, जब मुझसे 800 मीटर दूरी पर हमारे कैप्टन सहित तीन साथी पाकिस्तानी घुसपैठियों के कारण बलिदान हुए। उस दिन मैंने और पूरी टीम ने प्रण लिया था कि हमारे साथियों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा। आपरेशन थंडरबाल्ट शुरू किया। कारगिल के तुर्तुक सेक्टर पर 11 राजपूताना रायफल की दुकड़ी को इसका जिम्मा दिया। मैं हवलदार के पद पर था। कैप्टन हनीफुद्दीन 6 जून को हमारी टुकड़ी का नेतृत्व करते हुए आगे बढ़े तभी घुसपैठियों ने कैप्टन हनीफुद्दीन, नायब सूबेदार मंगेश सिंह और रायफलमैन परवेज पर हमला किया। वे तीनों बलिदान हो गए। मैं अपनी टुकड़ी के साथ उनसे 800 मीटर दूरी पर था। हम 43 दिन तक उनके शव भी नहीं उठा पाए। कैप्टन हनीफुद्दीन को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया। सुरेंद्र सिंह के मुताबिक कारगिल युद्ध का विराम भले ही 27 जुलाई को हो गया था लेकिन कारगिल में दुश्मनों की कारस्तानी खत्म नहीं हुई थी। युद्ध विराम की घोषणा के बाद भी हमारी टीम कारगिल के तुर्तुक सेक्टर पर तैनात रही। 3 अगस्त की रात कैप्टन अनिरुद्ध चौहान के नेतृत्व में हमारी टुकड़ी 18 हजार फीट ऊंची तुर्तुक सेक्टर की पहाड़ी पर बढ़ी। तभी घुसपैठियों ने हमला किया। हमले में हवलदार कान सिंह शहीद हो गए। मेरे बाएं हाथ में गोली भी लगी लेकिन टीम ने आठ दुश्मनों को मार गिराया। पाकिस्तानी सेना व घुसपैठिए तुर्तुक सेक्टर पर कब्जा करना चाहते थे। 16 लोगों की टीम तुर्तुक सेक्टर के ऊपरी हिस्से पर भेजा गया था, लेकिन खड़ी चढ़ाई होने के कारण रस्सी के सहारे सिर्फ सात लोग वहां पहुंचे। उसमें मैं भी शामिल था। हमने नौ पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था। इस दौरान 24 घंटे तक दोनों और से फायरिंग चली। रात 1.30 बजे हमने उस पोस्ट पर तिरंगा फहराया। आपके इस साहस को सलाम करते हुए। परमालिया ने बताया कि आप वर्तमान में इन्दौर में सेना में जाने के इच्छुक युवाओं को प्रशिक्षण व मार्गदर्शन दे रहे हैं। उमेश/पीएम/26 जुलाई 2024