लेख
26-Jul-2024
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सुप्रीम कोर्ट की 9 सदस्य वाली खंडपीठ ने 8+1 से फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने इस फैसले में स्पष्ट किया गया है। रॉयल्टी, टैक्स के दायरे में नहीं आती है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व के एक फैसले में कहा था, कि रॉयल्टी भी एक टैक्स है। जिसे 09 सदस्यों की संवैधानिक खंडपीठ ने सही नहीं माना है। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक खंडपीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है, कि सरकार को जो भी भुगतान किया जाता है उसे टैक्स नहीं माना जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक खंडपीठ ने गुरुवार को जो फैसला दिया है, उसके अनुसार संविधान ने खनिज और खदानों से निकलने वाले उत्पाद और खनिज भूमि पर राज्य सरकारों के अधिकार को माना है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है, कि राज्यों को रॉयल्टी वसूल करने का संवैधानिक अधिकार है। रॉयल्टी को टैक्स नहीं माना जा सकता है। नौ जजों की संविधान पीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी। इसमें एक जज बीवी नगरत्ना का फैसला अलग था। उनके फैसले में यह कहा गया है, कि राज्यों को खदानों और खनिज वाली भूमि पर टैक्स लगाने का अधिकार नहीं है। वहीं आठ जजों का फैसला है, कि राज्यों का यह संवैधानिक अधिकार है। आठ जजों ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है, कि संविधान की सूची 2 की प्रविष्टि 50 के अनुसार संसद के पास खनिज अधिकारों पर टैक्स लगाने का अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अब स्पष्ट हो गया है कि रॉयल्टी को टैक्स के दायरे के अंतर्गत नहीं लाया जा सकता है। खनिज भूमि और खनिज उत्पाद पर राज्य सरकारों का अधिकार है। रॉयल्टी एक अधिकार है। रॉयल्टी पर सरकार, पट्टेदाता और जमीन मालिक का अधिकार होता है। इस भुगतान को टैक्स के दायरे में नहीं रखा जा सकता है। संविधान पीठ के नौ जजों की पीठ ने इस विवादास्पद मुद्दे पर केंद्र एवं राज्य सरकारों का पक्ष काफी सूक्षमता के साथ सुना। कई दिनों तक सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई होती रही। इसमें विवाद का विषय रॉयल्टी और खनिज भूमि केंद्र एवं राज्य के अधिकार को लेकर सुनवाई हो रही थी। खनिज अधिनियम 1957 के तहत टैक्स और रॉयल्टी की व्याख्या सुप्रीम कोर्ट को करनी थी। देश की सभी खनिज भूमि पर राज्य सरकारों का अधिकार है। राज्य सरकारों को इस मामले में रॉयल्टी वसूल करने का भी अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सबसे ज्यादा फायदा राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड, पश्चिम बंगाल जैसे उन राज्यों को होगा, जहां बड़ी मात्रा में खनिज सम्पदा उपलब्ध है। इस फैसले के बाद राज्यों को कानून बनाने और खनिज उत्पाद पर रॉयल्टी वसूल करने का अधिकार प्राप्त हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में अभी यह सुनवाई चल रही है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट को यह फैसला देना है, कि यह अधिकार राज्यों को कब से प्राप्त होगा। राज्यों द्वारा पूर्ववर्ती समय से रॉयल्टी वसूल करने की मांग की जा रही थी। सुप्रीम कोर्ट को यह निर्णय देना है, कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय भूतलक्षी होगा या भविष्य में लागू होगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से राज्यों का आर्थिक आधार मजबूत होगा। केंद्र एवं राज्यों के रिश्ते भी मजबूत होंगे। इसके साथ ही रॉयल्टी और टैक्स की जो परिभाषा दी गई है, इसका असर केंद्र एवं राज्य सरकारों के साथ-साथ निजी अधिकारों के लिए भी सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बड़ा महत्वपूर्ण साबित होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद पर लंबे समय तक सुनवाई करके संविधान और विभिन्न कानून के हर पहलुओं पर विचार किया है। इस सुनवाई में केंद्र एवं राज्य सरकारों के अधिकार को लेकर भी गहन सुनवाई है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से खनिज मामलों को लेकर जो विवाद केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच में चले आ रहे थे, इसमें केंद्र एवं राज्य सरकारों के अलावा निजी भूमि के मालिक भी शामिल होते थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अब बहुत सारे विवाद निपट जाएंगे। ईएमएस / 26 जुलाई 24