लेख
24-Jul-2024
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यूपीएससी में एक नहीं अनेक कारनामें नाम से जगदीश्वर चतुर्वेदी की फेसबुक वाल पर अनेक उन अधिकारियों का उल्लेख किया गया है,जिन पर नियमों को ताक पर रखकर या फिर तथ्य छिपाकर नियुक्ति पाने का आरोप है।सच क्या है यह तो उच्च स्तरीय जांच के बाद ही पता चल पाएगा लेकिन लग रहे आरोपो में इस समय सबसे ऊपर आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर है,जिनके चयन को लेकर शुरू से विवाद है,जो अभी तक भी थमने का नाम नही ले रहा है।इसी विवाद के चलते पूजा खेड़कर को रोब गालिब करने व पद की सीमाओं से परे जाकर प्रदर्शन करने के मामले में उनके कथित फर्जी कुछ प्रमाण पत्रों के कारण ट्रेनिंग से वापस बुला लिया गया,उनकी मां को गिरफ्तार होना पड़ा और संघ लोकसेवा आयोग ने भी उन्हें नोटिस जारी कर उन्हें मुसीबत में डाल दिया है। पूजा खेडकर ने काशीबाई नवले मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेते वक्त अपना फिटनेस सर्टिफिकेट जमा किया था। इसमें कहा गया है कि वह किसी भी रूप में विकलांग नहीं है। जबकि संघ लोकसेवा आयोग में प्रतियोगी परीक्षार्थी के तौर उन्होंने घोषित किया कि उन्हें मानसिक बीमारी,दृष्टि दोष सहित कई विकलांगताएं हैं। पूजा खेडकर ने मेडिकल कॉलेज में एडमिशन नॉन क्रीमी लेयर ओबीसी कोटा के अंतर्गत लिया था,जिसमे उनकी जाति बंजारा बताई गई है। जबकि उनके माता पिता दोनो प्रशासनिक अधिकारी रहे हैं। ऐसे में उनके अभिवावकों की सालाना आय 8 लाख रुपये से कम होने का सवाल ही नही उठता। बताया जा रहा है कि यूपीएससी एक्जाम पास कर आईएएस बनने के पीछे एक भाजपा नेत्री की बड़ी भूमिका है।एक अन्य मामले में एक पुलिस इंस्पेक्टर की पुत्री दिव्या यादव आईएएस बनी है। लेकिन आरोप है कि उनका चयन अनुसूचित जाति कोटे में हुआ है। इसी तरह विश्वजीत पण्डा ने सन 2016 में नीट राउरकेला से क्लियर किया। उसके बाद उनकी एक बड़ी कम्पनी में नौकरी लग गई।उनके पिताजी सरकारी मास्टर है और भाई सन 2015 बैच के आईआरएस अधिकारी हैं। फिर भी कागजो में ये गरीब हैं। उन्होंने ईडब्ल्यू सर्टिफिकेट बनाया और 343 रैंक के साथ यूपीएससी 2023 में सेलेक्ट हो गए।लेकिन किसी ने भी उनके दस्तावेजों को खंगालने की कोशिश नही की।वही विपिन दुबे सीएससी यूपीएससी 2022 में 361 रैंक पाकर अधिकारी बनें है। उनके दादा खंड विकास अधिकारी रहे है और पिता जी सेशन कोर्ट के बड़े वकील है ।उन्होंने स्वयं नीट श्रीनगर से पास किया। सम्पन्न होने के वावजूद ईडब्ल्यूएस कोटा से यूपीएससी 2023 में 238 रैंक पाकर आईएएस बन गए। प्रियांशु खाटी को ही ले,वे हिमांचल प्रदेश कैडर 2021बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वे ऑर्थोपेडिकली हैंडिकैप्ड कैटेगरी से भर्ती हुए है,लेकिन देखने मे एक दम फिट हैं। वे सोशल मीडिया पर भी खासे एक्टिव रहे हैं। अपनी एक पोस्ट में बताते हैं कि वो फिफ्थ फ्लोर पर बिना लिफ्ट के पहुंच जाते हैं। इसी तरह से दिव्यांशी सिंह ने 2020 में यूपीएससी पास करके आईआरएस बन गईं। ये भी विकलांग कोटे से सेलेक्ट हुईं है। इनका सोशल मीडिया पर गोल्फ खेलने का वीडियो खूब वायरल हुआ है।जबकि रवि कुमार सिहाग ने 2021 में आईआरटीएस के तौर पर एक साल‌ नौकरी की। फिर भी इनका ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट बन गया और यूपीएससी में गरीब कोटे से अधिकारी बन गए हैं। इसी तरह संजना यादव 126 रैंक के साथ सीएसई 2019 में ओबीसी कोटे से पास हुईं। जबकि उनके पिता खुद आईआरएस हैं। ऐसे में नॉन क्रीमी लेयर का सर्टिफिकेट प्राप्त करना क्या जांच का विषय नही है।विजय वर्धन ने भी सीएसई 2018 में 104वी रैंक साथ आईपीएस का सफर पूरा किया। इन्होंने भी ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट बनवाया और 288वी रैंक के साथ आईएएस बन गए।वही एन उमा हराती के पिता सीनियर पुलिस ऑफिसर हैं ,लेकिन इनका सिलेक्शन नॉन क्रीमी लेयर ओबीसी कैटेगरी के अंतर्गत हुआ है।इसी तरह आसिफ के यूसुफ केरल कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। ये भी नॉन क्रीमी लेयर ओबीसी सर्टिफिकेट के आधार पर सन 2020 में चयनित हुए । जांच प्रक्रियाओं के बाद इनका फर्जीवाड़ा साबित भी हो गया। फिर भी अभी तक नौकरी पर बने हुए हैं।उत्तराखंड कैडर की आईएएस अधिकारी नितिका खंडेलवाल का सिलेक्शन सन 2014 में दृष्टि दोष कैटेगरी के अंतर्गत हुआ, लेकिन आरोप है कि ये यूट्यूब चैनल में बिना चश्में के कंटेंट क्रिएशन करती हैं।जिसे लेकर उंगलियां उठ रही है। प्रफुल्ल देसाई भी सन 2019 बैच के 532वी रैंक के साथ अधिकारी हैं। ट्रैनिंग के दौरान उन्होंने 25किमी की ट्रैकिंग की और 30 किमी साइकिलिंग का रिकॉर्ड बनाया। लेकिन फिर भी उन्हें आर्थोपेडिक हैंडीकैप्ड कैटेगरी में नियुक्ति मिली।जबकि आयुषी जैन यूपीएससी सन 2020 में 85वी रैंक के साथ आईपीएस बनी थी। फिर सन 2022 में ये ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र के आधार पर आईएएस हो गईं। इसी प्रकार दुर्गा प्रसाद अधिकारी सन 2021 में 205वी रैंक के साथ अनारक्षित सीट से आईपीएस बने थे। इन्होंने भी ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट बनवाया और सन 2022 में 162वी रैंक के साथ आईएएस बन गए।लक्ष्मण तिवाड़ी भी पहले आईपीएस थे। फिर ईडब्ल्यूएस कैटेगरी का सर्टिफिकेट लिया और आईएएस बन गए।उक्त नियुक्तियों पर उठे सवालों को लेकर सम्बंधित अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने कोई फर्जीवाड़ा नही किया बल्कि उनकी नियुक्ति नियमो के अनुकूल है।अब सच क्या है यह तो विस्तृत एवं गहन जांच के बाद ही पता चल सकता है।लेकिन इतना कह सकते है कि जब देश की सबसे बड़ी नियुक्ति परीक्षा का ये हाल है तो बाकी प्रतियोगी परीक्षाओं का राम ही मालिक है। (लेखक ज्वलंत मुद्दों के टिप्पणीकार एवं वरिष्ठ अधिवक्ता है) .../ 24 जुलाई /2024