लेख
24-Jul-2024
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राष्ट्रपति पद के चुनाव से हटने की घोषणा वर्तमान राष्ट्रपति जो वाइडेन ने कर दी है। वाइडेन ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को राष्ट्रपति पद के लिए समर्थन दिया है। डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से कमला हैरिस राष्ट्रपति पद के लिए सबसे प्रबल दावेदार थी। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, डेमोक्रेटिक पार्टी के किंग मेकर बनकर उभरे हैं। उन्होंने वाइडेन को राष्ट्रपति का चुनाव नहीं लड़ने की सलाह दी थी। पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने भी वाइडेन के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी से हटने के बाद,कमला हैरिस को समर्थन देने की घोषणा कर दी है। 19 अगस्त को शिकागो में डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन की बैठक होगी। जिसमें 4000 से अधिक डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रतिनिधि शामिल होंगे। पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए अधिकृत नाम की घोषणा शिकागो कन्वेंशन मे होगी। कमला हैरिस की उम्मीदवारी पर डेमोक्रेटिक पार्टी का कोई चुनौती देना चाहेगा। तो उसे 600 प्रतिनिधियों का समर्थन प्राप्त करके उम्मीदवारी का दावा करना होगा। राष्ट्रपति पद के चुनाव मे लगभग 105 दिन बाकी हैं। जिस तेजी के साथ अमेरिका में राजनीतिक हालात बदल रहे हैं। उसको लेकर यह कहा जा रहा है, जो वाइडेन के चुनाव मैदान से हटने के बाद पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए मुसीबतें बढ़ेंगी। डोनाल्ड ट्रंप के सामने जो वाइडेन कमजोर साबित हो रहे थे। पिछले वर्षों में उपराष्ट्रपति के रूप में कमला हैरिस ने अपने कामकाज को लेकर अमेरिका में सभी वर्गों में लोकप्रियता हासिल की है। कमला हैरिस भारतवंशी है। डोनाल्ड ट्रंप ने उपराष्ट्रपति पद के लिए भारतवंशी महिला के पति को अपना उम्मीदवार बनाया है। भारतीय मूल के और अश्वेत वर्ग के लोगों में कमला हैरिस को काफी गंभीरता से लिया जाता है। वह एक सूझबूझ वाली महिला हैं। राष्ट्रपति पद के चुनाव में पिछले एक माह में जिस तरह के परिवर्तन अमेरिका में देखने को मिल रहे हैं। उससे लग रहा है, अमेरिका नया इतिहास बनाने जा रहा है। पूर्व विदेश मंत्री हेलरी क्लिंटन ने राष्ट्रपति पद का चुनाव 2016 में लड़ा था। उन्हें डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव हराया था। अमेरिका के इतिहास में अभी तक कोई महिला राष्ट्रपति नहीं हुई है। अमेरिका में दूसरी बार महिला, राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने जा रही है। डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय मूल के लोगों का समर्थन पाने के लिए पिछले चुनाव के पहिले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राष्ट्रपति रहते हुए अच्छे संबंध बनाए थे। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछली बार अमेरिका में अबकी बार ट्रंप सरकार के नारे लगाए थे। उसके बाद भी ट्रंप पिछला चुनाव हार गए थे। कमला हैरिस के चुनाव मैदान में आने के बाद, राष्ट्रपति चुनाव के सारे समीकरण बदल गए हैं। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ कई मामले अदालत में लंबित है। कुछ मामलों में उन्हें सजा हो चुकी है। अमेरिका में वह कट्टरबाद के सहारे अपनी राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। जिस तरह से दुनिया के देशों में दक्षिणपंथी विचारधारा कमजोर हो रही है। ऐसी स्थिति में कमला हैरिस, राष्ट्रपति पद के चुनाव में ट्रम्प को कड़ी चुनौती देंगी। ट्रम्प को जो समर्थन वाइडेन के कारण अभी मिल रहा था। निश्चित रूप से अब कमला हेरिस से उन्हें चुनौती मिलना तय है। ट्रम्प की लोकप्रियता में भी गिरावट देखने को मिल सकती है। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन का समर्थन कमला हैरिस को मिल रहा है। भारतीय मूल के नागरिकों का समर्थन भी कमला हैरिस को बड़े पैमाने पर मिलना तय माना जा रहा है। जो वाइडेन के चुनाव मैदान से हट जाने के बाद, अमेरिका की राजनीति में बड़ा बदलाव आ गया है। जो वाइडेन के सामने ट्रंप काफ़ी मजबूत थे। जिस तरह से चुनाव के बीच जो वाइडेन ने अपनी उम्मीदवारी वापस ली है। उसने सारे समीकरण एक ही झटके में बदल दिए हैं। अमेरिका के इतिहास में 1968 के बाद यह पहला मौका है। जब किसी राष्ट्रपति ने चुनाव मैदान से हटने की घोषणा की है। अमेरिकी इतिहास में जो वाइडेन सबसे ज्यादा उम्र वाले राष्ट्रपति हैं। अभी उनकी उम्र 81 वर्ष की है। वह कई बीमारियों के शिकार हैं। अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी को जो चंदा मिला था। वह चंदा जो- वाइडेन और कमला हैरिस के नाम पर मिला था। राष्ट्रपति वाइडेन ने उत्तराधिकारी के रूप में कमला हैरिस का नाम आगे बढ़ाया है। जिसके कारण 2007 करोड रुपए का जो चंदा डेमोक्रेटिक पार्टी के पास है। इसका उपयोग चुनाव के लिए कमला हैरिस कर सकेंगी। कमला हेरिस की उम्मीदवारी घोषित होने पर उन्हें 407 करोड़ का नया चंदा मिला है। जो उनकी लोकप्रियता को बढ़ाने वाला है। निश्चित रूप से कमला हैरिस राष्ट्रपति पद के चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को कड़ी टक्कर देगी। अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति होने का रिकॉर्ड भी कमला हैरिस के नाम पर बनने की संभावना जताई जा रही है। इस तरह की चर्चा अमेरिका में होने लगी है। निश्चित रूप से इस चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं रहा। ईएमएस / 24 जुलाई /24